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आत्महत्या को मजबूर करने के मामले में कोर्ट का बड़ा फैसला

-आरोपी की जमानत अर्जी खारिज

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अदालत का फैसला (प्रतीकात्मक फोटो)

अदालत का फैसला (प्रतीकात्मक फोटो)

जबलपुर. आत्महत्या के लिए मजबूर करने के एक मामले में स्थानीय अदालत ने आरोपी के खिलाफ बड़ा फैसला सुनाया है। इसके तहत अदालत ने आरोपी की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया है।

जिला अभियोजन कार्यालय जबलपुर के मीडिया सेल प्रभारी भगवत उइके ने बताया कि मृतक ने एक सुसाइड नोट छोड़ा है जिसमें उसने उल्लेख किया है कि करीब दो साल से अभिषेक चढ़ार शादी का झांसा देकर शारीरिक शोषण करता रहा। वह जब भी शादी के लिए अभिषेक से बोलती तो, अभिषेक तथा उसका भाई गोविंद चढ़ार उसके साथ अभद्रता करते और शादी न करने की बात कहते। सुसाइड नोट में यह भी है कि आरोपी ने चेतावनी दी कि भूल जाओ नहीं तो कहीं की नहीं रहोगी। ऐसे कह कर आरोपी ने पीड़ित की इज्जत, मान सम्मान को ठेस पहुंचाया जिससे प्रताड़ित होकर उसने आत्महत्या कर ली।

मृतक ने अपने कथनों में उल्लेख कर बताया कि एक नवंबर 2020 को शाम पांच बजे अभिषेक की मां रेखा चढ़ार घर आई और उसकी बहन को अभिषेक के विरुद्ध 376 का केस वापस लेने की धमकी दी। 1-2 नवंबर, 2020 की रात फांसी लगाकर मौत होने का उल्लेख भी है।

आरोपियो के विरूद्ध थाना माढ़ोताल में भादवि के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया आरोपी अभिषेक चढ़ार, गोविंद चढ़ार, रेखा चढ़ार को गिरफ्तार कर न्यायालय पदमिनी सिंह प्रथम न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष पेश किया गया। अभियुक्त ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से जमानत के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। शासन की ओर से जिला लोक अभियोजन अधिकारी शेख वसीम के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी भगवत उइके ने शासन की ओर से जमानत का विरोध कर बताया कि यदि आरोपित को जमानत का लाभ दिया जाता हैं, तो समाज में न्याय के प्रति विपरीत संदेश पहुंचेगा। इस प्रकार के अपराधों के बढ़ने की संभावना बढ़ जाएगी। अभियोजन द्वारा दिए गए तर्कों से सहमत होते हुए आरोपितों का जमानत आवेदन निरस्त कर आरोपितों को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया।