crime against women : हर महिला में एक मां, बेटी, बहन और पत्नी का रूप होता है। फिर चाहे वह घर की चार दीवारों में हो या फिर घर के बाहर। यदि ये सोच हर उस मन में आ जाए जो महिलाओं या युवतियों को केवल उपभोग वस्तु समझते हैं तो फिर अपराधों पर बहुत कुछ नियंत्रण पाया जा सकता है। लेकिन इस सोच को मन तक पहुंचाने के लिए हमें हर घर से शुरुआत करने की आवश्यकता है। ये बात रविवार को अपराधों के विरुद्ध महिला सुरक्षा अभियान के अंतर्गत टॉक शो में पूनम सेठी ने कही।
crime against women : खुद का आत्मविश्वास बढ़ाना होगा
लक्ष्मी सिंह ने कहा जो भी महिला, युवती या किशोरी घर से बाहर निकल रही है उसे खुद में आत्मविश्वास बढ़ाना होगा। अपराध और अपराधियों के विरुद्ध डटकर सामना करने की हिम्मत जुटानी होगी। इससे न केवल अपराधी उन्हें छेडऩे या प्रताडि़त करने से पहले सोचेगा। यही नहीं वह दूसरी किसी अन्य महिला से अभद्र व्यवहार करने से पहले कई बार सोचेगा।
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crime against women : बातें नहीं धरातल में काम की जरूर
पूजा कटारिया ने कहा आज महिला सशक्तिकरण की बातें तो हर मंच पर हो रही हैं। लेकिन असल में इन बातों को धरातल पर उतारने की आवश्यकता ज्यादा है। तभी महिला अपराधों में कमी की बात कही जा सकेगी। अधिकतर मामलों में महिला को चुप रहने की सलाह दी जाती है। जो कि उसके खिलाफ अपराधों को और हवा देने जैसा होता है। इसे रोकना होगा, आवाज उठानी होगी।
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crime against women : सामाजिक संगठनों को साथ आना होगा
रंजीता गढ़वाल ने कहा शहर में बहुत से सामाजिक संगठन काम कर रहे हैं। सभी संगठनों को एकजुट होकर इस तरह के अभियानों में शामिल होकर लोगों को जागरुक करना होगा। एड. यामिनी शुक्ला ने कहा एक साथ जब सब आएंगे तो विकृत मानसिकता वाले अपराधियों के बीच भय की स्थिति पैदा की जा सकेगी। कानून व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों को भी सख्ती दिखानी होगी। टॉक शो में शामिल कंचन शिवंकर, अर्चना तिवारी, मोनिका कटारे, लक्ष्मी हल्दकार, दिशा चौबे, जागृति शुक्ला, सोनम गुप्ता, प्रीति दुबे, रीना राय ने भी अपनी बात रखी।
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