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बड़ी खबर: 11 हजार बच्चों को हुई ये गंभीर बीमारी, दिखने लगे ऐसे

सरकारी दावों की खुली पोल  

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kuposhan

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कटनी. जबलपुर संभाग में कुपोषण को दूर करने प्रदेश सरकार का प्रयास सिर्फ कागजों में ही चल रहा है। पूरा महाकौशल प्रांत कुपोषण की चपेट में है। यहां पर 11 हजार से अधिक बच्चे कुपोषित मिले हैं। इसका खुलासा बीते दिनों संभागीय आयुक्त की बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा रखी गई रिपोर्ट से हुआ है। जबलपुर संभाग के अंतर्गत आने वाले8 जिलों में सबसे अधिक कुपोषित बच्चों की श्रेणी में कटनी जिला पहले नंबर है। जबकि दूसरे नंबर पर छिदवांडा जिला है। सबसे अच्छी स्थिति में नरसिंहपुर, बालाघाट व सिवनी जिला है। यहां पर क्रमश: 899, 913 व 983 बच्चे ही कुपोषित मिले हैं।

news fact- संभागभर में सबसे अधिक कुपोषित बच्चों के मामले में कटनी अव्वल, दूसरे नंबर पर छिंदवाड़ा

कुपोषण मुक्त प्रदेश बनाने के लिए प्रदेश सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा अटल बाल मिशन, लालिमा योजना, पूरक पोषण अभियान व मुनगा से सुपोषण अभियान सहित कई प्रकार की योजनाएं चलाई जा रहीं हैं। इन योजनाओं के पीछे सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे है, लेकिन जबलपुर संभाग में इसका कोई असर दिखाई नहीं दें रहा है। संभागभर में 11780 बच्चें कुपोषित मिले है। इन बच्चों का वजन सबसे कम पाया गया है। जबकि 151732 बच्चों का वजन सामान्य बच्चों से कम मिला है।
कुपोषण को लेकर जिम्मेदारों द्वारा बरती जा रहीं लापरवाही के चलते योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही संचालित होकर रह गई है। जबलपुर संभाग के तहत आने वाले कटनी जिले में सबसे अधिक 2666 बच्चें कुपोषित मिले है। इन बच्चों का वजन सामान्य बच्चों की तुलना में सबसे कम पाया गया है। कुपोषिण की गंभीर स्थिति के मामले में दूसरा नंबर संभाग में छिदवाड़ा जिले का आता है। यहां पर 2227 बच्चें कुपोषित पाए गए है।

राज्यमंत्री के क्षेत्र में 441 बच्चें कुपोषित:
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जिले में सात परियोजनाओं का संचालन किया जाता है। सबसे अधिक बड़वारा व विजयराघवगढ़ परियोजना में कुपोषित बच्चे मिले है। विजयराघवगढ़ परियोजना की बात करें तो यह राज्यमंत्री संजय पाठक का विधानसभा क्षेत्र है। इसके साथ ही इसी क्षेत्र से समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष पद्मा शुक्ला, कटनी विकास प्राधिकरण अध्यक्ष धु्रव प्रताप सिंह व जिला पंचायत अध्यक्ष ममता पटेल भी आती है। तीनों ही दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री है। उसके बाद भी यह क्षेत्र कुपोषण से पूरी तरह मुक्त नहीं हो पाया।
विजयराघवगढ़ परियोजना के अंतर्गत 0 से 5 साल तक के 18720 बच्चों का सर्वे किया गया। इसमें 4532 बच्चों का कम वजन कम था। जबकि 441 बच्चों का अतिकम वजन निकला। इसी तरह से बड़वारा परिजनों जो पूर्व मंत्री व वर्तमान विधायक मोती कश्यप का क्षेत्र है। यहां पर 19879 का सर्वे किया गया। इसमें 4179 कम वजन के निकले। जबकि 491 का वजन सबसे कम पाया गया।


जबलपुर संभाग में यह है कुपोषण की स्थिति:
जिला वजन लिए बच्चों की संख्या सामान्य वजन कम वजन अतिकम वजन
नरसिंहपुर 85134 -75453- 8782-899
बालाघाट 136114- 114051- 21144- 913
सिवनी 113838 -97522 -15333 -983
मंडला 87328 -71229- 14995- 1104
डिंडौरी 75885- 58566- 15862- 1427
जबलपुर 165306- 140887- 22888- 1531
छिदवाड़ा 173519- 142750-28542- 2227
कटनी 124529-97627- 24186- 2666

यह है कटनी में परियोजनावार कुपोषण की स्थिति:
ब्लॉक बच्चों की संख्या कम वजन के बच्चे अतिकम वजन के बच्चे
बहोरीबंद 18489- 2389- 195
मुड़वारा 13555 -3177 -297
रीठी 12506 -3291- 350
कटनी शहर 16608- 2300- 366
ढीमरखेड़ा 16064- 3655- 387
विजयराघवगढ़ 18720- 4532- 441
बड़वारा 19879- 4179-491

जरुरी है आर्थिक रुप से परिवारों को मजबूत करना
जिले में कुपोषण के ज्यादा मामलों के पीछे एक कारण यह भी है कि परिवार आर्थिक रुप से कमजोर हैं। ऐसे परिवारों को आर्थिक रुप से मजबूती दिलाने प्रयास करेंगे। फिलहाल एनआरसी आने वाले बच्चों को पोषित करने के साथ ही मुनगा के पौधे लगाकर उसे फायदे से अवगत कराया जा रहा है। प्रयास है जिले को कुपोषण से मुक्त किया जाये।
- केवीएस चौधरी, कलेक्टर।