
Ekadashi 2018 Dates ,
जबलपुर. ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी का बहुत महत्व है। इस बार 24 जून को इस रानी एकादशी व्रत की साधना की जाएगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस एकादशी व्रत की उपासना से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। अनेक साधक निर्जल व्रत धारण कर कठिन तपस्या करते हैं। तीर्थ स्नान, कथा पुराण और दान पुण्य का विशेष महत्व है।
12 वर्ष एकादशी व्रत करने वाले श्रद्धालु इसी एकादशी को व्रत की पूर्णाहुति करते हैं। पूर्णाहुति करने वालों को भगवान शामिलग्राम का अभिषेक, पूजन के बाद सुवर्ण दान, गो दान, जल घट दान, अन्न दान, तीर्थ दर्शन एवं हवन करना चाहिए।
सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है रानी एकादशी
ज्योतिर्विद जनार्दन शुक्ला ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार सनातन धर्म में वर्ष भर में २४ एकादशी पड़ती हैं। भीमसेनी या निर्जला एकादशी इनमें सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। इसी कारण इसे रानी एकादशी की संज्ञा दी गई है। उन्होंने बताया कि इस व्रत में उपासना करने वाले साधकों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
महाभारत कथा में उल्लेख
महाभारत कथा में उल्लेख है कि भगवान श्रीकृष्ण ने भीमसेन को इस एकादशी का व्रत करने की सलाह दी थी। शास्त्रों में मान्यता है कि इस एकादशी व्रत में उपासना करने वाले साधकों को वर्ष के एकादशी व्रत का पुण्य प्राप्त होता है। दान पुण्य का विशेष महत्व है। अनेक साधक निर्जल व्रत धारण कर कठिन तपस्या करते हैं।
साधना से मिलेगी सुख-समृद्धि
व्रत धारक कर सूर्योदय से पूर्व स्नान कर निर्जला एकादशी व्रत का संकल्प लेना चाहिए। निराहर रहकर विष्णु सहस्त्रनाम पाठ व भगवान शालिग्राम का पूजन करना चाहिए। 12 वर्ष एकादशी व्रत करने वाले श्रद्धालु इसी एकादशी को व्रत की पूर्णाहुति करते हैं। पूर्णाहुति करने वालों को भगवान शामिलग्राम का अभिषेक, पूजन के बाद सुवर्ण दान, गो दान, जल घट दान, अन्न दान, तीर्थ दर्शन एवं हवन करना चाहिए। व्रत की पूर्णाहुति में रात में हवन और अगले दिन पारण होता है।
Published on:
22 Jun 2018 08:15 am
बड़ी खबरें
View Allजबलपुर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
