
MP High Court: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश संजीव सचदेवा व न्यायाधीश विनय सराफ की युगलपीठ ने केवल सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र दिए जाने को चुनौती देने के मामले को गंभीरता से लिया है। इस संबंध में युगलपीठ ने एमपी शासन को स्पष्टीकरण पेश करने के निर्देश दिए हैं।
यह जनहित का मामला एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस संस्था ने दायर किया है। अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने कहा कि एमपी सरकार का 2 जुलाई 2019 को जारी ईडब्ल्यूएस नीति संविधान के प्रावधानों के हिसाब से असंगत है।
संविधान के अनुच्छेद में स्पष्ट प्रावधान है कि ईडब्ल्यूएस का प्रमाण पत्र सभी वर्गों को दिया जाएगा। एमपी सरकार ने ईडब्ल्यूएस के 10 फीसदी आरक्षण का लाभ देने के उद्देश्य से ये प्रमाण पत्र केवल सामान्य वर्ग के लोगों को दिए जाने की पॉलिसी जारी की है। ओबीसी, एससी, एसटी वर्ग को ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा रहा है।
मध्यप्रदेश शासन की ओर से बताया गया कि सर्वोच्च न्यायालय के पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण से संबंधित मामले का पटाक्षेप कर दिया है। जिस पर आवेदकों की ओर से आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा गया कि उक्त मामला जनहित अभियान बनाम भारत संघ का था।
इसमें संविधान के 103 वे संशोधन की वैधानिकता को अपहेल्ड किया गया है। इस मामले में न्यायालय ने शासन को 30 दिन में अपना स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए हैं।
Published on:
02 Oct 2024 09:20 am
बड़ी खबरें
View Allजबलपुर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
