
फर्जी धान खरीदी केंद्र का भांडाफोड़ : किसानों से ले चुके थे 26 हजार क्विंटल धान, किसी का भी नहीं किया भुगतान
जबलपुर/ मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में एक ऐसे धान खरीदी केंद्र का भाड़ाफोड़ हुआ है, सरकार की ओर से जिसकी अनुमति ही नहीं दी गई थी। यही नहीं, इस केंद्र पर किसानों से 26 हजार क्विंटल धान की खरीदी भी की जा चुकी है, जबकि किसानों को अब तक धान के एवज में खरीदी केन्द्र की ओर से फूटी कौड़ी भी नहीं चुकाई गई। हैरानी की बात ये कि, किसानों को विभग की ओर से एसएमएस करके ओम साईं वेयर हाउस भेजा गया था, लेकिन वो इस अवैध उपज केंद्र पहुंचते रहे।
अवैध धान खरीदी केन्द्र संचालक के खिलाफ दर्ज होगी FIR
गैर करने वाली बात ये है कि, इस अवैध धान खरीदी केन्द्र में किसानों की उपज खरीदकर ऑनलाइन रजिस्टर करने के बजाय इसका रिकॉर्ड एक सादे कागज पर किया जा रहा था। अधिकारियों ने पाटन तहसील अंतर्गत सिमरा गांव में संचालित गणपति वेयर हाउस पहुंचे, तब इसका खुलासा हुआ। अब इसके संचालक के खिलाफ पाटन तहसील में एफआईआर भी दर्ज कराने के निर्देश जारी कर लिये गए हैं।
SDM के औचक निरीक्षण में हुआ मामले का खुलासा
सिमरा गांव के गणपति वेयर हाउस में वृहत्ताकार सेवा सहकारी समिति नुनसर में धान खरीदी का ये अवैध प्रक्रिया चल रही थी। जबकि इस वेयर हाउस को इस बार उपार्जन केंद्र की अनमति ही नही थी। प्रभारी आपूर्ति नियंत्रक के मुताबिक, बगैर अनुमति के वृहत्ताकार सेवा सहकारी समिति का संचालन प्रबंधक गंधर्व सिंह द्वारा अवैध रूप से धान खरीदी की जा रही थी। जबलपुर एसडीएम नम: शिवाय अरजरिया और एसडीएम पाटन मौके पर जिला विपणन अधिकारी के साथ निरीक्षण करने पर मामले का खुलासा हुआ।
कंप्यूटरीकृत पर्ची देने के बजाय सादे कागज पर लिख रहे थे तौल
इस अवैध उपार्जन केन्द्र पर कम्प्यूटर ऑपरेटर प्रयाग पांडेय, सर्वेयर धनराज सिंह और लिपिक प्रदीप दीक्षित धान खरीदी करते हुए मिले। इस केन्द्र पर किसानों से धान खरीद कर वेयर हाउस के अंदर रखी जा रही थी। एक भी किसान को पर्ची जारी नहीं की जा रही थी। इसके बदले में एक सादे कागज पर तौली गई धान की मात्रा लिखकर दी जा रही थी। अब प्रशासन इस धान को जब्त कर संबंधित खरीदी केंद्र को देने की कवायद में जुटी है, जिससे किसानों को उनकी उपज की कीमत मिल सके।
खरीदी के लिए कहां से आया बारदाना, जांच के निर्देश जारी
अवैध खरीदी केंद्र से धान खरीदने के बाद उसे बारदाने में भरकर गोदाम में रखवाया जा रहा था। अब सवाल ये उठता है कि, इतनी बड़ी मात्रा में उन्हें बारदाना कहां से मिला। यहां 15 नवंबर से शुरू हुई खरीदी से अब तक 26 हजार क्विंटल धान किसानों से लिया जा चुका था। प्रभारी आपूर्ति नियंत्रक और जिला विपणन अधिकारी को इसकी भनक तक नहीं लगी। हालांकि, प्रभारी आपूर्ति नियंत्रक राजेश बाथम ने दावा किया है कि, ये पूरा क्षेत्र निगरानी में था। यहां बड़े पैमाने की धोखाधड़ी हो रही थी। बारदाना किसी प्रशासनिक कर्मी की मिलीभगत से मिला होगा। फिलहाल, इन सब सवालों को जांच के दायरे में लाया गया है।
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Published on:
30 Dec 2020 07:36 pm
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