
famous poet of india
जबलपुर . करुणा के भाव जब शब्दों में ढल जाते हैं तो कविता बनती है। दर्द, खुशी का अहसास ही कविता गढऩे के लिए प्रेरित करता है। एक दशक पहले तक करुणा को उतारने के लिए कागज पेन का सहारा लिया जाता था पर अब बात बदल गयी है। अब तो मन में विचार आए और तुरंत कविता बनकर सोशल साइट्स पर अपलोड हो रहे हैं। सोशल मीडिया... वैसे तो दो शब्दों का नाम, लेकिन दायरा असीमित। विचारों की अभिव्यक्ति का सटीक मंच बनने के साथ अब सोशल मीडिया साहित्य और लेखन के क्षेत्र से भी जुड़ता जा रहा है। सोशल मीडिया ने जहां युवा कवियों को एक मंच दिया है, वहीं लेखन और साहित्य से जुड़े लोगों के लिए भी एक सूत्रीय राह दिखाने का काम किया है। वल्र्ड पोएट्री डे मौके पर आइए जानते हैं कविताओं को सोशल मीडिया की मैग्जीन पर फेसबुक के पाठकों तक रचनाओं को पहुंचाने वाले कुछ एेसे ही लोगों के विचार--
मुशायरे भी होते हैं लाइव
कविताओं के प्रेम में डूबी लता गुप्ता यूं तो ब्यूटीशियन हैं, लेकिन इनकी रचनाएं साहित्य और लेखन के क्षेत्र को प्रभावित करती हैं। उनका कहना है कि सोशल मीडिया ने कवियों की रचनाओं को लोकप्रिय बनाने का काम किया है। अब सोशल मीडिया पर लाइव मुशायरे भी होते हैं, जिसका कई बार लता भी हिस्सा बन चुकी हैं। इतना ही नहीं वे कहती हैं कि कई बार एेसी रचनाएं तुरंत आती हैं, जिन्हें नोट करने की बजाय लोगों से साझा करना बेहतर लगता है। नुक्ते के लिए अब कई सोशल मीडिया पर उर्दू के फॉन्ट और एप्स भी आते हैं, जो कविताओं को काबिल बनाते हैं।
भोर के उजाले के साथ कविता
लो मित्रों फिर भोर भई, नया उजाला आया है, आज सुना कल्पना ने कि कविताओं वाला दिन आया है। रोजाना भोर के उजाले के साथ एेसी ही नई कविता को सोशल मीडिया पर लिखने का काम डॉ. कल्पना मिश्रा करती हैं। साहित्य और लेखन के प्रति रुझान होने के कारण कविताओं और विचारों की अभिव्यक्ति करने में भी उनकी रुचि है। वे कहती हैं कि सोशल मीडिया कविताओं के लिए एक एेसा मंच बन चुका है, जहां वर्तमान में हर कोई कवि बन गया है। बशर्ते यह है कि कविताओं का स्तर कैसा है। फेसबुक और वाट्सएप की सराहना उत्साह बढ़ाती है।
फेसबुक ही पाठक वर्ग
कला से जुड़ाव होने के साथ इनके कविताओं से भी बेहद प्रेम है। इसलिए डॉ. विवेक चतुर्वेदी कैनवास के साथ सोशल मीडिया पर रचनाओं को भी साझा करते हैं। उनका कहना है कि सोशल मीडिया वर्तमान में किसी भी कवि के लिए एक एेसी मैैग्जीन की तरह हो चुकी है, जिसका सम्पादक कवि खुद होते हैं। यह एक एेसा माध्यम है जो तत्काल लाखों पाठकों तक आपकी रचनाओं और विचारों को पहुंचाने का काम करता है। इसमें प्रतिक्रिया भी तुरंत मिल जाती है। रचनात्मक कार्य को बढ़ाने के लिए यह भी जरूरी है, क्योंकि फेसबुक ही वर्तमान में पाठकों का बड़ा वर्ग बन चुका है।
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कवयित्री बाबुषा कोहली कहती हैं- इस बात में बिल्कुल संदेह नहीं हैं कि सोशल मीडिया ने कविताओं को मंच प्रदान करने का काम किया है। लोगों को अब स्पीड वाली लाइफ पसंद आती है। एेसे में सोशल मीडिया के कई माध्यम एेसे हैं जो कि कविताओं के लोकतंत्र को बढ़ावा देने में मददगार साबित हो रहे हैं। लोग अब कविताओं को किताबों में कम सहेजते हैं और फेसबुक वॉल पर अधिक पोस्ट करते हैं। सटीक कविताओं के लेखन के लिए दृष्टिकोण का होना तो जरूरी है, साथ ही शब्दों का व्यवस्थित होना भी मायने रखता है। क्योंकि संसार में जो दिखता है वो खूबसूरत है और भाषा में जो शामिल हो जाए वह कविता कहलाती है। कविताओं और शब्दों को पसंद करने के लिए सोशल मीडिया पर कविताएं खूब लिखें, ताकि उभरती हुई प्रतिभाओं को मंच मिल सके। इसके साथ ही फेसबुक और वाट्सएप के स्टेटस और कविता लेखन के अंतर को भी युवाओं को समझना होगा।
Published on:
21 Mar 2018 02:49 pm
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