
famous secrets in history
लाली कोष्टा @ जबलपुर। इन दिनों देश में हनीटै्रप को लेकर जमकर चर्चा हो रही है। देश की खुफिया जानकारी, सेना और सेना से जुड़े अहम दस्तावेजों के लीक होने पर हंगामा मचा हुआ है। जबलपुर के सैन्य अधिकारी समेत एयरपोर्स के अधिकारी को हनीटै्रप मामले में पकड़ा गया है। दोनों मामलों की जांच उच्चस्तरीय अधिकारियों द्वारा की जा रही है। ऐसे में अधिकतर लोग हनीट्रेप को जानने और उनसे जुड़े रहस्यों को गूगल समेत अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से सर्च कर रहे हैं।
इतिहासकार राजकुमार गुप्ता के अनुसार हनीटै्रप, विषकन्या का आधुनिक रूप है। ये विष कन्याएं दूसरे राज्यों के राजाओं व अधिकारियों को अपने जाल में फंसाकर वहां की सभी अहम जानकारियां निकालकर अपने देश पहुंचाया करती थीं। इनका फायदा खासकर युद्धों के दौरान काम आता था। इसका एक जीवंत उदाहरण जबलपुर की विषकन्या की बावड़ी है, जो ११वीं शताब्दी की हनीट्रैप थी।
ऐसी है असली कहानी -
एक महिला के प्रेमी की हत्या उसके ही परिवार वालों ने कर दी। हत्या का बदला लेने के लिए महिला ने अपनी बेटी को विषकन्या बना दिया। यह कोई कोरी काल्पनिक कहानी नहीं बल्कि इतिहास की अनूठी दासतां है। जिसके प्रमाण आज भी जमीन पर मौजूद हैं। इतिहासकार खुद इस बात की पुष्टि करते हैं कि विषकन्या से जुड़ी कहानी सत्य है। हम यहां पर ऐसी ही विषकन्या की कहानी आपको बताने जा रहे हैं जिसमें प्रेम, विरह और प्रतिशोध की ज्वाला है।
प्रेम और विश्वास में धोखा खाने वाला व्यक्ति हर हाल में बदला लेने के लिए आमादा हो जाता है। इस बात की गवाह इतिहास की कई कहानियां रहीं हैं। उन्हीं में से एक मेडिकल रोड स्थित विषकन्या की बावड़ी भी है। यह बावड़ी देखने में जितनी खूबसूरत है, उतनी ही बावड़ी के पीछे की कहानी भी है। जिसमें प्रेम, धोखा और बदला शामिल है।
इतिहासविद् राजकुमार गुप्ता बताते हैं कि कहानी गुजरात से शुरू होती है, बात सन 1100 और उसके आसपास की है। गुजरात में कुमारपाल राजा का राज था। उनके बहनोई कृष्णदेव अष्टसेना की कमान संभाला करते थे। राज्य की एक खूबसूरत नर्तकी नीलमणि और कृष्णदेव का प्रेम हो गया। इस बात से गुस्से में आए कुमारपाल राजा ने कृष्णदेव की हत्या कर दी। अपनी जान बचाकर नर्तकी नीलमणि कल्चुरि राज्य में आ गई। जिसकी खबर कुमारपाल को लग जाती है।
कर दी बहनोई की हत्या
जीजा कृष्णदेव और नर्तकी नीलमणि के प्रेम संबंध की जानकारी लगते ही कुमारपाल सकते में आ जाता है। वह दोनों की हत्या करने का निर्देश जारी कर देता है। उसके सैनिक आरामगाह में सो रहे कृष्णदेव की हत्या कर देते हैं। लेकिन नर्तकी नीलमणी वहां से भागने में कामयाब हो जाती है। वह गुजरात से जबलपुर पहुंच जाती है।
बावड़ी में रहती है नीलमणी
जबलपुर पहुंचने पर नीलमणी को रहने का कोई ठिकाना नहीं मिलता। वह लोगों की नजरों से बचने के लिए मेडिकल अस्पताल के पास स्थित बावड़ी में रहने लगती है। यह जगह आबादी से काफी दूरी थी। जहां कोई आता जाता भी नहीं था। बीहड़ स्थान पर नीलमणि अकेली रहने लगी।
नहीं भूल पाई प्रेमी की हत्या
जबलपुर आकर नीलमणि की जान बच जाती है। लेकिन उसके मन में अभी भी अपने प्रेमी कृष्णदेव की यादें जिन्दा रहती हैं। राजा से बदला लेने की आग उसके सीने में जलने लगती है। कुछ दिनों बाद उसे जानकारी लगती है कि वह कृष्णदेव की संतान को जन्म देने वाली है। वह बावड़ी में छिपकर ही जीवन यापन करती है। कुछ समय बाद एक खूबसूरत कन्या का जन्म होता है।
ऐसे बनाती है विषकन्या
अपने प्रेमी की मौत का बदला लेेने के लिए नीलमणि अपनी बेटी को विषकन्या बनाने की ठानती है। नीलमणी बेटी को सर्पदंश देना शुरू कर देती है, ताकि बड़े होने पर वह अपने पिता की मौत का बदला ले सके। बेटी के बड़े होते ही उसे कल्चुरि काल के एक राजा से प्रेम हो जाता है, लेकिन विषकन्या होने के कारण राजा की मृत्यु हो जाती है। इस बात की जानकारी लगने के बाद सभी उस जगह को विषकन्या की बावड़ी के नाम से जानते हैं।
Published on:
16 Feb 2018 02:13 pm
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