
government hospital jabalpur
government hospital jabalpur : मेडिकल अस्पताल के मेडिसिन आईसीयू, न्यूरोलॉजी, न्यूरो सर्जरी, कॉर्डियोलॉजी, यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी जैसे विभागों के वार्डों में बेड मिलना मुश्किल हो रहा है। दरअसल इन विभागों में आ रहे मरीजों की संख्या उपलब्ध बेड के मुकाबले दोगुना है। इमरजेंसी केस में भी मरीजों को जनरल वार्ड में भर्ती कराना पड़ता है। अगर मरीज को मेडिकल या जिला अस्पताल के आईसीयू में जगह मिल भी गई तो अधिकांश समय एसी खराब रहने के कारण मरीजों का गर्मी से बुरा हाल हो रहा है।
महाकोशल, बुंदेलखंड, विंध्य रीजन में एम्स अस्पताल नहीं है। ऐसे में रीजन के लगभग 20 जिलों के मरीज मेडिकल अस्पताल आते हैं। इनमें चार ऐसे जिले भी शामिल हैं जिनमें मेडिकल कॉलेज अस्पताल होने के बावजूद मरीज जबलपुर को प्राथमिकता देते हैं। इनमें सागर, रीवा, छिंदवाड़ा, सिवनी शामिल हैं।
हृदय रोग, न्यूरोलॉजी, किडनी रोग समेत अन्य मेडिकल इमरजेंसी के कई मामलों में मरीज को तत्काल क्रिटिकल केयर की आवश्यकता होती है। अगर उन्हें तत्काल उपचार नहीं मिल पाता तो हालात और बिगड़ जाती है। इमरजेंसी वार्डों में बेड की संख्या आवश्यकता के अनुपात में आधी से भी कम है। कई केस में मरीज को ऑपरेशन के बाद 1-2 सप्ताह तक भर्ती रखना पड़ता है। ऐसे में दूसरे मरीज के लिए बेड उपलब्ध नहीं हो पाता।
मेडिकल अस्पताल के पुराने भवन के विभागों के विस्तार के लिए पांच सौ बिस्तरों का नया भवन बनकर तैयार हुए लगभग 6 महीने हो गए। लेकिन इस भवन में अभी तक गिनती के वार्डों का ही विस्तार हो सका। इस भवन की लगभग चार सौ बेड क्षमता का मेडिकल अस्पताल प्रशासन अभी तक उपयोग नहीं कर पा रहा है। वहीं सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के विभागों के विस्तार के लिए लंबे समय से नए भवन के निर्माण की मांग हो रही है। इस दिशा में अब कोई काम शुरू नहीं हो सका है।
Updated on:
05 Oct 2024 01:17 pm
Published on:
05 Oct 2024 01:15 pm
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