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पवित्र क्षेत्र में चिकन मीट, शराब की बिक्री, राष्ट्रपति से लेकर चीफ जस्टिस तक आ चुके हैं यहां

पवित्र क्षेत्र में चिकन मीट, शराब की बिक्री, राष्ट्रपति से लेकर चीफ जस्टिस तक आ चुके हैं यहां  

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Jabalpur : Gwarighat

Jabalpur : Gwarighat

राहुल मिश्रा@जबलपुर। डेढ़ दशक पहले मध्य प्रदेश में सरकार ने धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के नगरों को पवित्र शहर घोषित किया था। जबलपुर को 2008 में आस्था नगरी घोषित किया गया। 2013 में ग्वारीघाट को भी पवित्र क्षेत्र घोषित किया गया। लेकिन, ये घोषणाएं महज कागजी साबित हुईं।

आस्था पर वार
मांस, अंडा, शराब की बिक्री पर लगाम नहीं, ग्वारीघाट है पवित्र क्षेत्र
संस्कारधानी को आस्था नगरी घोषित कर भूली सरकार, कुछ भी तो नहीं बदला!

आस्था नगरी व पवित्र क्षेत्र घोषित होने के बावजूद व्यवस्था में कोई बदलाव नजर नहीं आया। पवित्र नगर के मायने और मापदंड क्या हैं, इस बात का कोई खयाल नहीं रखा गया। शहर का ग्वारीघाट हो, सतना का मैहर हो या नरङ्क्षसहपुर का बरमान घाट। सभी जगह अंडा, मांस-मदिरा की खरीद-फरोख्त बेखटके जारी है।

यह हैं नियम
पवित्र क्षेत्र घोषित किए गए स्थल के चार किमी के दायरे में मांस-मछली, अंडे का विक्रय प्रतिबंधित है। इसी दायरे में शराब की दुकान भी नही खोली जा सकती। विगत 22 फरवरी को मुख्यमंत्री ने दमोह जिले के कुंडलपुर और बांदकपुर को पवित्र क्षेत्र घोषित कर इन नगरों के चार किमी दायरे में मांस, अंडा व शराब बिक्री पर रोक लगाई है।

19 पवित्र क्षेत्र, हर जगह अव्यवस्था
प्रदेश में डेढ़ दशक पहले पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने महेश्वर में हुई अपनी कैबिनेट की बैठक में महेश्वर, अमरकंटक और उज्जैन को पवित्र शहर घोषित किया था। उसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर और शिवराज ङ्क्षसह चौहान ने कई नगरों को पवित्र घोषित किया। इनकी संख्या 19 हो गई। 15 साल बाद कांग्रेस सरकार की एंट्री हुई, तो धर्म को अपने वचन पत्र में शामिल कर विकास को बढावा देने की बात कही थी।

धार्मिक शहरों की स्थिति सरकार बदलने के बाद भी विकास की डगर पर नहीं चल पाई। बीजेपी सरकार को भी दो वर्ष हो गए, लेकिन इन पवित्र घोषित किए गए नगरों की ओर ध्यान अभी भी नहीं दिया जा रहा है। इन सभी शहरों में शराब का कारोबार खुलकर हो रहा है। अब तो सरकार शराब बिक्री को बढ़ावा दे रही है।

ये हैं पवित्र क्षेत्र व आस्था नगरी
उज्जैन, अमरकंटक एवं महेश्वर - 3 फरवरी 2004
ओरछा एवं ओंकारेश्वर- फरवरी 2004
मंडला एवं मुलताई - 21 जनवरी 2008
दतिया- 27 अगस्त 2008
जबलपुर - आस्था नगरी 8 जनवरी 2008
चित्रकूट, मैहर एवं सलकनपुर- 20 फरवरी 2009
मंडलेश्वर, जिला खरगोन - 15 अक्टूबर 2010
पशुपतिनाथ मंदिर मंदसौर- 9 नवंबर 2011
ग्वारीघाट, जबलपुर एवं बरमान- 22 अप्रैल 2013
कुंडलपुर और बांदकपुर- 22 फरवरी 2022