
hello mp governor
जबलपुर। समय से पहले सबकुछ पा लेने की सोच बहुत ही खतरनाक होती है। इसके परिणाम खतरनाक होने के साथ ही भविष्य को भी दांव पर लगा देते हैं। ऐसा ही मामला मप्र एसटीएफ ने खोला है। जिसमें एक वायुसेना के अधिकारी समेत डेंटिस्ट को गिरफ्तार किया गया है। एटीएस ने एक हाईप्रोफाइल रैकेट का खुलासा किया है। जिसने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नाम पर कुलपति की नियुक्ति में फर्जीवाड़ा हो रहा था। भारतीय वायु सेना का विंग कमांडर कुलदीप वाघेला ने मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन से अमित शाह बनकर फोन पर बात की। साथ ही अपने दोस्त डॉ चंद्रेश शुक्ला को कुलपति बनाने की सिफारिश की।
जबलपुर में स्थित मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति के लिए पिछले दिनों आवेदन मांगे गए थे। इस पद के लिए भोपाल के साकेत नगर निवासी डॉ चंद्रेश शुक्ला ने आवदेन दिया था। चंद्रेश शुक्ला पेशे से डेंटल सर्जन है। बताया जा रहा है कि राजभवन का यह पैनलिस्ट डॉक्टर भी है। तीन जनवरी को चंद्रेश शुक्ला का इस पद के लिए इंटरव्यू हुआ था।
राजभवन में फर्जी फोन कॉल मामले में गिरफ्तार, सिहोरा का निवासी है चंद्रेश, भोपाल-नई दिल्ली तक पैठ
राजभवन में फर्जी फोन कॉल मामले में गिरफ्तार डॉ. चंद्रेश शुक्ला ने भोपाल और नई दिल्ली तक अपनी पैठ बनाई है। सूत्रों के अनुसार शुक्ला जिले की सिहोरा तहसील के निवासी हैं। प्रारंभिक पढ़ाई के बाद शुक्ला ने प्रदेश के दूसरों शहरों से उच्च शिक्षा (दंत चिकित्सा में डिग्री) हासिल की। प्रदेश की राजधानी के गलियारों से होते हुए कम समय में ही नई दिल्ली तक अपने स्पर्क बना लिया। प्राइवेट कॉलेज में नौकरी करते हुए कुछ ही समय में मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद सदस्य मनोनीत होने के साथ ही डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य तक बन गया। शुक्ला ने इंदौर के एक प्राइवेट कॉलेज से पढ़ाई की। डेंटल (बीडीएस) डॉक्टर बना। उसके बाद भोपाल के एक निजी कॉलेज (पीपुल्स डेंटल कॉलेज) से पीजी डिग्री ली। पीजी की पढ़ाई के दौरान ही प्राइवेट कॉलेज में पैठ बना ली। डिग्री पूरी करने के बाद कॉलेज में ही फैकल्टी (एसोसिएट प्रोफेसर) बन गया। भोपाल में नौकरी के साथ ही सड्डाा पक्ष और विपक्षी पार्टी के नेताओं के साथ तालमेल बढ़ाया।
दो बार से लगातार ईसी मेंबर
मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में चंद्रेश शुक्ला बतौर कार्यपरिषद (ईसी) सदस्य करीब साढ़े तीन वर्ष पहले मनोनीत हुआ। सदस्य बनने के बाद शुक्ला के राजभवन तक सीधे संपर्क के कारण उनका प्रशासनिक अधिकारियों पर दबदबा रहा।
Published on:
11 Jan 2020 12:23 pm
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