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खाप पंचायत: बेटे की लव मैरिज पर परिवार को दिया लोगों का जूठन खाने का आदेश फिर…

खाप से खतरनाक पंचायत, बेटे की लव मैरिज पर परिवार को दिया लोगों का जूठन खाने का आदेश फिर...

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high profile family social boycott after son love marriage other caste

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जबलपुर। स्मार्टफोन के जमाने में समाज से बंद करना, पंचायत के आदेश देकर सार्वजनिकतौर पर लोगों को प्रताडि़त करना, एक दकियानूसी विचारधारा मानी जाती है। लोग पढ़ लिखकर भी इन बातों का समर्थन करें तो बड़ा अजीब सा लगता है। ऐसा ही एक मामला जबलपुर में सामने आया है। जहां बेटे के लव मैरिज करने पर समाज ने उसके पूरे परिवार का हुक्का पानी बंद करा दिया। यही नहीं उससे क्षमा के रूप में लोगों को जूठन खाने के लिए बाध्य भी किया गया। पीडि़त परिवार संभ्रांत है, और डॉक्टर के पेशे से है। उसने इसका विरोध किया और कोर्ट की शरण लेकर अपनी बात रखी। अंतत: परिवार की जीत हुई।

news facts

परिवार को जूठन खाने का आदेश देने वाले आरोपियों पर मामला दर्ज
हनुमानताल थाने में 14 आरोपियों के खिलाफ एफआइआर

यह है मामला-
अंतरजातीय विवाह करने पर परिवार के लोगों को जूठन खाने, अर्थदंड और समाज से बहिष्कृत किए जाने फैसले को गैरकानूनी बताते हुए न्यायालय ने हनुमानताल पुलिस को आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के आदेश दिए। इसके बाद पुलिस ने शनिवार को 14 लोगों के खिलाफ 120बी, 384, 506 का प्रकरण दर्ज किया है।

हनुमानताल टीआइ विजय तिवारी ने बताया, खटीक मोहल्ला भानतलैया निवासी नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.डीपी गूजर ने न्यायालय में परिवाद दाखिल कर बताया था, 12 फरवरी-2014 को उसके बेटे आशुतोष ने शांति नगर दमोहनाका निवासी प्रियंका कोष्टा से विवाह कर लिया। इसके बाद खटीक समाज सेवा समिति के अध्यक्ष मुन्नालाल भोजक समाज की पंचायत बुलाई और परिवार को बहिष्कृत करने का फरमान सुना दिया और यह भी धमकाया कि जो भी इस परिवार को आमंत्रित करेगा, उन्हें भी बाहर कर दिया जाएगा। यह फरमान सुनाने वालों में मगन पटारिया, करण भोजक, बचन उर्फ ऋषभ चौधरी, राजेंद्र पोरिया, दशरथ माहर, पवन नायक, छोटेलाल उर्फ सीएल भोजक, लखन ढाड़ी, रमेश सिंह पीपड़ा, श्यामलाल सप्रे, दिलीप अविंद्रा, महेंद्र जांगड़े, महेश उर्फ टाइगर रत्नाकर शामिल थे।

रखी थी शर्त
पीडि़त परिवार को एक लाख अर्थदंड, समाज को भोज कराने, टाट बिछाने के अलावा जूठन खाने की भी शर्त रखी गई थी, जिसे न्यायालय ने अमानवीय और मानव अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए आरोपियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के आदेश दिए।