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UP में टौंकर रोके जाने से सागर में मरीज की मौत
बता दें कि, प्रदेश की जबलपुर हाईकोर्ट में सोमवार 26 अप्रैल की सुबह 9 बजे से शुरु हुई सूबे में ऑक्सीजन की कमी पर सुनवाई दोपहर तक चली। सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की डबल बेंच ने सवाल किया कि, पूर्व में जारी 19 बिंदुओं के दिशा-निर्देशों का पालन हुआ या नहीं? पूर्व महाधिवक्ता आनंद मोहन माथुर ने एचसी को जानकारी देते हुए बताया कि, बीते दिनों उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर एमपी के ऑक्सीजन रोकने के चलते सागर में एक मरीज की मौत हो गई थी।
अगली सुनवाई तक केन्द्र और राज्य सरकार को पेश करनी होगी प्रगति रिपोर्ट
सागर में मरीज की मौत महज सरहद पर ऑक्सीजन टैंकर रुक जाने के कारण हो गई, मामला सामने आने के बाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार पर फटकार लगाते हुए कहा कि, ये केंद्र सरकार की जवाबदारी है कि हर राज्य को ऑक्सीजन बिना अड़चन के मुहैय्या हो सके। हिदायत दी है कि आगे से ऐसी घटनाएं न हों। वहीं, रेमडेसिविर की कालाबाजारी करने वालों पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए। हाईकोर्ट ने पूर्व में जारी निर्देशों के पालन में अब तक उठाए गए कदम के बावत प्रगति रिपोर्ट 28 अप्रैल को अगली सुनवाई में पेश करने का आदेश राज्य व केंद्र सरकार को दिया है।
ऑक्सीजन की कमी से लगातार मौतों का सिलसिला जारी
एमपी हाईकोर्ट की ओर से कोरोना इलाज के मामले में जनहित याचिका की सुनवाई की जा रही है। मामले में कोर्ट मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ की ओर से आवेदन दायर करते हुए कहा गया था कि, ऑक्सीजन की कमी से जबलपुर समेत शहडोल, ग्वालियर, इंदौर और प्रदेश के कई जिलों के अस्पतालों में भर्ती मरीजों की मौत हो चुकी है। कोरोना की दूसरी लहर का पीक मई के पहले सप्ताह में आने की संभावना है। इसके लिए अभी से पर्याप्त इंतजाम किए जाएं।
हाईकोर्ट के आदेश का नहीं हो रहा पालन
इंदौर के वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद मोहन माथुर की ओर से दायर आवेदन में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने 19 अप्रैल को आदेश जारी कर ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा था, लेकिन ऑक्सीजन की आपूर्ति अब तक नहीं हो रही। आवेदन के जरिये अनुरोध किया गया है कि, ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की आपूर्ति की माॅनीटरिंग हाईकोर्ट द्वारा कराई जाए। साथ ही, महामारी को राष्ट्रीय आपदा घोषित की जाए।
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सागर आ रहे ऑक्सीजन टैंकर, भेजा झांसी
हाईकोर्ट एडवोकेट बार एसोसिएशन जबलपुर की ओर से लगाए गए तीसरी याचिका के तहत कहा कि, बोकारो स्टील प्लांट से एक ऑक्सीजन टैंकर सागर भेजा गया था, लेकिन बीच रास्ते से उसे रोककर झांसी की पलटा दिया गया। ये टैंकर सागर के लिये रवाना हुआ था। लेकिन, बीच में हुई इस चूक के चलते सागर में ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत होने लगी। मामले पर भी हाईकोर्ट से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया गया था।
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