
hindi divas - amitabh bachchan - actor ashotush rana story
जबलपुर। हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा जरूर है और हिंदी फिल्में भी हमारे मनोरंजन का सबसे बड़ा माध्यम हैं पर दरअसल फिल्मी दुनिया में हिंदी का दर्जा दोयम ही बना हुआ है। बॉलीवुड या हिन्दी चलचित्रों में अंग्रेजी या मिश्रित हिंग्लिश भाषा का दबदबा है। सच तो यह है कि हिंदी फिल्मों की स्टोरी इंग्लिश में लिखी जाती है और ज्यादातर एक्टर इंग्लिश में ही लिखे डायलाग्स हिंदी में पढ़ते हैं। ऐसे माहौल में भी कुछ फिल्मी लोगों ने हिन्दी को माथे की बिन्दी बना रखा है। अंगुली पर गिने जा सकने वाले ऐसे अभिनेताओं में आशुतोष राणा का नाम अग्रगण्य है।
बॉलीवुड में हिन्दी के ध्वजवाहक आशुतोष राणा
असलियत तो यह है कि आशुतोष राणा ने अपनी उत्कृष्ट हिंदी के दम पर ही बालीवुड में अहम स्थान प्राप्त किया है। हिंदी के कठिन शब्दों के साथ उनकी संवाद अदायगी एक अलग ही असर उत्पन्न करती है। राणा ने न केवल अपनी फिल्मों में हिन्दी के उत्कृष्ट संवादों की अदायगी से जान डाली, बल्कि सहयोगी निर्माता-निर्देशकों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित कि या। वे मराठी, कन्नड़ और तेलुगु फिल्मों में भी काम कर चुके हैं, लेकिन उनकी हिन्दी का कोई सानी नहीं। वर्तनी व उच्चारण के संदर्भ में अमिताभ बच्चन के बाद बॉलीवुड में आशुतोष का नाम भी सम्मान से लिया जाता है। उन्होंने कई गद्य व पद्य रचनाएं की हैं। हाल ही में उनकी पुस्तक ‘मौन मुस्कान की मार’ ने उन्हें हिन्दी प्रेमियों की प्रशंसा का पात्र बनाया है। उनकी अनेक कविताएं देश के सुप्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहीं हैं।
महाकौशल ने बनाया वरद पुत्र
हिंदी के लिए बालीवुड में सम्मान प्राप्त करनेवाले इस अभिनेता का जन्म और प्रारंभिक शिक्षा उस क्षेत्र में हुई जोकि साहित्यकारों का गढ़ माना जाता है। महाकौशल क्षेत्र के नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा में आशुतोष राण का जन्म हुआ, उन्होंने यहीं अपना बचपन बिताया और बाद में वे जबलपुर आ गए। अभिनेता आशुतोष राणा की उत्कृष्ट हिंदी का सबसे बड़ा राज ही यही है कि वे संस्कारधानी में रहकर पढ़े-लिखे और बड़े हुए।
Published on:
14 Sept 2018 09:06 am
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