
hindu calendar 2018 with tithi in hindi
जबलपुर। नया साल आए और घर की दीवार पर नया पंचाग/कैलेंडर न दिखे, तो कुछ अधूरा साल लगता है। जबलपुर शहर के ज्योतिष मर्मज्ञ वर्षों से इस अधूरेपन को दूर कर रहे हैं। इसीअंदाज ने संस्कारधानी को कैलेंडर सिटी का दर्जा दिलाया है। देशभर के हिन्दी भाषी राज्यों के लोग ही नहीं पूरा देश इन पंचांगों का मुरीद है। कई पंचांग और कैलेण्डर तो सात समुंदर पार यानी विदेशों तक जाते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार भूमध्य रेखा जबलपुर से होकर गुजरती है। दुनिया के केन्द्र बिंदु करौंदी में अक्षांश 23-10 अंश व रेखांश 30 अंश पर होने के कारण यहां की काल गणना सटीक है। यही यहां के पंचांग और कैलेण्डर की लोकप्रियता का प्रमुख कारण है।
1934 में पड़ी नींव
आजादी के पहले ज्यादातर पंचांग संस्कृत में प्रकाशित होते थे। इसके कारण तीज, त्योहार, मुहूर्त जानने के लिए लोग पूरी तरह से ज्योतिषाचार्यों पर निर्भर रहते थे। उस वक्त के ज्यादातर कैलेंडर अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित होने के कारण अधिकतर लोगों को समझ में नहीं आते थे। शहर के लाला रामनारायण अग्रवाल ज्योतिष के ज्ञान में पारंगत थे। कोतवाली में उनके निवास पर पास मुहूर्त व तिथियां जानने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती थी। उन्होंने 1934 में पंचांग को कैलेंडर का स्वरूप देकर 500 प्रतियां प्रकाशित कीं। इन प्रतियों को उन्होंने लोगों के बीच मुफ्त बांटा। पंचांग कीमांग को देखते हुए उन्होंने अगले साल प्रतियों की संख्या बढ़ा दी और बाजार में पंचांग लोकार्पित किया।
होता गया प्रसार
समय के साथ ही संस्कृत में अध्ययन करने वालों की संख्या घटती गई। पंचांग में दी गई तिथियों, मुहूतज़् को जानने के लिए संस्कृत भाषा का ज्ञान आवश्यक था। ऐसे में लोगों को ज्योतिषाचार्यों पर निर्भर होना पड़ा। समय की मांग थी कि लोगों को उनकी भाषा हिन्दी में ऐसा कैलेंडर उपलब्ध हो, जिसकी भाषा वे आसानी से समझ सकें और उन्हें छोटी जानकारियों के लिए ज्योतिषाचार्यों के चक्कर नहीं काटना पड़े। यही वजह रही कि समय के साथ आसान भाषा में उपलब्ध हिन्दी के पंचांगों की मांग और सर्कुलशन बढ़ता गया।1937 तक कई पंचांग और कैलेंडर यहां से प्रकाशित होने लगे। अब हिन्दी में प्रकाशित कैलेंडरों की संख्या करीब 12 है।
संस्कारधानी से प्रकाशित होने वाले पंचांग-कैलेंडरों का सर्कुलेशन लगातार बढ़ता जा रहा है। आकर्षक कलेवर के साथ सटीक काल गणना के कारण देशभर में लोगों की दिनचर्या का यह हिस्सा है। तिथि, तीज त्योहार से लेकर अवकाश और राशि फल, ग्रह दोष, शुभ मुहूर्त देखने के लिए भी इन्हीं पंचांगों का उपयोग होता है।
सालभर करना पड़ता है जतन
ज्योतिष से लेकर आवश्यक जानकारियों को खुद में समेटे करीब 12 पेज का जो कैलेंडर आपकी दीवार में सालभर टगा रहता है, उसे तैयार करने के लिए सालभर जतन करना पड़ता है। हर साल सहायक कं टेंट नया देना और उसे आकर्षक कलेवर में प्रस्तुत करना बड़ी चुनौती होती है।
सटीक गणना पर फोकस
ज्योतिष की गणना में जरा सी चूक से कैलेंडर की प्रतिष्ठा पर असर पड़ सकता है। कैलेंडर की काल गणना और कं टेंट के चयन में सावधानी बरतना होती है।
श्रेष्ठ कालगणना
- भूमध्य रेखा पर स्थित है जबलपुर।
- सूयोज़्दय-सूर्यास्त का समय तय।
- अक्षांश 23-10 अंश व रेखांश 30 अंश पर होने के कारण राहू-केतु प्रभावहीन नहीं।
- लग्न, इष्ट काल, दिनमान, रात्रिमान की गणना आसान।
- ज्योतिष के जानकारों की बड़ी संख्या में।
जबलपुर गणित और ज्योतिष के मामले में हमेशा से समृद्ध रहा है, यहां के ज्योतिषाचार्यो की काल गणना सटीक होती है। यहां से प्रकाशित कैलेंडर और पंचांग की मांग देशभर में है।
-पं. जनादन शुक्ला, ज्योतिषाचार्य
भूमध्य रेखा पर जबलपुर की मौजूदगी ने इस शहर को ज्योतिष की गणना का श्रेष्ठ स्थल बना दिया है। 23-10 अंश अक्षांश व 30 अंश रेखांश के कारण सूयोज़्दय व सूयाज़्स्त निश्चित समय पर होता है। इसमें विषमता नहीं आती। यहां श्रेष्ठ पंचांग तैयार हो पाते हैं, जिनकी देशभर में मांग है।
डॉ. सत्येन्द्र स्वरूप शास्त्री, ज्योतिषाचार्य
शहर से प्रकाशित प्रमुख कैलेंडर और पंचांग
-लाला रामस्वरूप रामनारायण पंचांग
-लाला रामस्वरूप जीडी एंड संस
-लाला रामस्वरूप आरसी एंड संस
-सुभाष हिन्दी पंचांग
-भुवन विजय पंचांग
-सूर्यदर्शन हिन्दी पंचांग
- लोक विजय पंचांग
गौरवशाली इतिहास
लाला रामस्वरूप रामनारायण पंचांग
-1934 में प्रकाशन प्रारंभ
-सटीक काल गणना।
-देश के ज्यादातर हिन्दीभाषी राज्यों में सर्कुलेशन, आकषज़्क कलेवर, होलोग्राम।
-6 महीने पहले से काम शुरू।
-सैंकड़ों जॉब वकज़् से जुड़े लोग और प्रिंटिंग यूनिट।
-प्रकाशक- प्रहलाद अग्रवाल।
-ज्योतिषाचार्य- पं. रोहित दुबे
सूर्यदर्शन हिन्दी पंचांग
-2004 में प्रकाशन प्रारंभ।
- मसीही समाज के सभी त्योहारों का ब्योरा।
-छत्तीसगढ़ में सकुज़् लेशन डेढ़ लाख से ज्यादा।
-ज्योतिषाचायज़्- पं श्याम लाल चतुवेदज़्ी, पं. भगवती प्रसाद।
-अप्रेल के महीने से काम शुरू।
-प्रकाशक - शिवकुमार श्रीवास्तव।
श्री सुभाष हिन्दी पंचांग (भुवन मार्तण्ड)
-1937 से प्रकाशन प्रारंभ।
-हर पेज पर आकषज़्क फोटो, अखिल भारतीय ज्योतिष, आध्यात्मिक, पयाज़्वरण सम्मेलन (1993) की ओर से सम्मानित, केंद्र सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त, सूक्ष्म दृष्य गणित पर आधारित लघु पंचांग इंटरनेशनल एस्ट्रालॉजिकल
ग्लोबल रिसर्च कॉन्फ्रेंस 2005 (पुरी) की ओर से पुरस्कृत
-उत्तर भारत में सर्कुलेशन डेढ़ लाख से ज्यादा।
-ज्योतिषाचार्य- पं विष्णुदत्त स्वामी।
-प्रकाशक - बृजेश अग्रवाल।
भुवन विजय पंचांग
-1938 से प्रकाशित।
-सटीक काल गणना, भविष्यवाणी पर पाठकों की विश्वसनीयता, पंचांग व कैलेंडर दोनों एक साथ।
-मध्यप्रदेश, विदभज़्, छत्तीसगढ़ में अच्छा खासा सर्कुलेशन।
-ज्योतिषाचार्य-व प्रकाशक : पं. सूर्यकांत चतुर्वेदी
-प्रकाशन से 6 महीने पहले शुरू होती है काल गणना।
लोक विजय पंचांग
-83 वर्ष से प्रकाशित
-लग्न निकालने की आसान विधि, कृष्ण व शुक्ल पक्ष की तिथियों की जबदज़्स्त गणना
जन्मकुं डली के मिलान के आसान तरीके
-मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, बिहार में सकुज़् लेशन ज्यादा
-ज्योतिषाचार्य व प्रकाशक: पं. श्रीनाथ झा
लाला रामस्वरूप जीडी एंड संस
-1937 से प्रकाशित।
-98 वषीज़्य ज्योतिषाचार्य लक्ष्मीकांत मिश्र की ओर से काल गणना।
-आकर्षक कलेवर, दशहरा तक पंचांग बाजार में लाना।
-मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश व गुजरात में सर्कुलेशन
प्रकाशक-राकेश, नितिन व देवेश अग्रवाल
लाला रामस्वरूप आरसी एंड संस
-1937 से प्रकाशित
-हर साल नए कंटेंट और आकर्षक कलेवर
-नवंबर के महीने तक पंचांग बाजार में।
-मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व विदभज़् में सर्कुलेशन
Published on:
02 Jan 2018 12:57 pm
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