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जबलपुर। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में दो विभागों को अपग्रेड कर स्कूल ऑफ एक्सीलेंस बनाने की योजना की गति सुस्त पड़ गई है। करीब एक साल बाद भी अभी तक एक भी स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की ओपीडी तक शुरू नहीं हो सकी है।
ये है समस्या
प्रदेश सरकार ने न्यूरो सर्जरी और टीबी एंड चेस्ट (पल्मोनरी साइंसेस) डिपार्टमेंट को अपग्रेड कर स्कूल ऑफ एक्सीलेंस बनाने के निर्देश दिए थे। लेकिन, अभी तक न्यूरो सर्जरी विभाग को अपग्रेड करने के लिए भवन का विस्तार कार्य शुरू नहीं हो पाया। यहां ऑपरेशन थिएटर (ओटी) और ओपीडी बना दी गई है, लेकिन वार्ड और आइसीयू नहीं होने से समस्या ये है कि गम्भीर मरीजों को इलाज और ऑपरेशन के बाद कहां रखा जाएगा। उधर, बिजली कनेक्शन और नर्सों की कमी से स्कूल ऑफ पल्मोनरी साइंसेस की ओपीडी शुरू नहीं हो रही है। मरीज निजी अस्पतालों में महंगा इलाज कराने को मजबूर हो रहे हैं।
सुपर स्पेशिलिटी उपचार
स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के प्रस्तावित दोनों विभागों के पृथक भवन के साथ ही आधुनिक सुविधाएं जुटाने का प्रस्ताव है। इसमें प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के सबसे अत्याधुनिक डिपार्टमेंट होंगे। एडवांस ओटी और करोड़ों रुपए के आधुनिक जांच उपकरण स्थापित होंगे। विषय विशेषज्ञ चिकित्सक होंगे। मरीजों के बेहतर इलाज के साथ ये पढ़ाई के मामले में भी आदर्श होंगे। नए विषयों पर डीएम की पढ़ाई का भी प्रस्ताव है।
नहीं मिला पूरा बजट, अटका काम
स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग के साथ ही अनुदान राशि का एक अंश मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय की ओर से जारी किया जाना है। सूत्रों के अनुसार अनुदान को लेकर खींचतान में विभाग को स्वीकृत बजट की पूरी राशि का आवंटन नहीं हुआ है। इससे स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के लिए भवनों के ऊपरी मंजिल के निर्माण और अन्य संसाधन जुटाने का काम अटक गया है।
ओपीडी और वार्ड की जरूरत के हिसाब से भवन तैयार है। उपकरण आ गए हैं। बिजली कनेक्शन की प्रक्रिया चल रही है। ओपीडी को शीघ्र शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
डॉ. जितेंद्र भार्गव, प्रमुख
विभाग को अपग्रेड कर स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया जाना है। इसके लिए मौजूद भवन के विस्तार का प्रस्ताव है। भवन पूरा बनने पर ही इलाज की अन्य सुविधाएं जुटाई जा सकेंगी।
डॉ. वायआर यादव, प्रमुख
Published on:
30 Jun 2019 10:00 am
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