
desi cow dung and urine
जबलपुर. देसी गाय के गोबर, गोमूत्र और खाने की चीजों से जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर ने धान की फसलों को झुलसा रोग से बचाने के लिए कीटनाशक तैयार किया है। इसे बीजामृत नाम दिया गया है। कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि प्रयोग सफल रहा है और इसे अब किसानों तक पहुंचाने के लिए पहल की जाएगी। जलवायु परिवर्तन और तापमान में वृद्धि के कारण पैदा होने वाले संकट से धान की फसल को सबसे अधिक नुकसान झुलसा रोग से होता है, जिससे बचाव के लिए किसानों को विकल्प मिलेगा।
धान के लिए अमृत होगा ‘बीजामृत’, झुलसा रोग से बचाएगा
शोध में यह सामने आया है कि झुलसा रोग के लिए जैंथोमोनास कम्पेसेटिव पैथोवार ओराइज नामक बैक्टीरिया जिम्मेदार है। इसके फैलने के लिए 30-35 डिग्री सेल्सियस तापमान अनुकूल होता है। जब धान के पौधे के तने और पत्तियां तीव्र वद्धि की अवस्था में होती हैं, तभी उनके ऊपरी सिरों पर हल्के हरे और पीले रंग के धब्बे उभरते हैं।
इसकी वृद्धि रोकने के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने प्रयोगशाला में लंबे समय से अनुसंधान कर रही है। जेएनकेविवि के अनुसंधानकर्ता डॉ प्रमोद कुमार गुप्ता ने बताया कि झुलसा रोग के पैथोजन (रोगाणु) को रोकने के लिए तैयार किए गए बीजामृत में कई प्राकृतिक तत्व कारगार साबित हुए हैं। यह किसानों के लिए फायदेमंद होगा और खेती लाभ का धंधा बन सकेगी।
Published on:
07 Feb 2023 02:47 pm
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