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जफ़र अली नकवी ने अपनी राजनीतिक शुरुवात नगर पालिका परिषद से की थी। जफ़र अली नकवी दिल्ली में अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष के साथ यूपी सरकार में चार बार महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री भी रहे। जफ़र अली नकवी की शुरुवात से ही खेल में रुचि थी। इन्हें लखनऊ यूनिवर्सटी में खेल में कई एवार्ड भी मिले। इसी दरमियान उनकी मुलाकात संजय गांधी से हुई। संजय गांधी ने उन्हें राजनीतिक ने आने के लिये प्ररित किया। नकवी ने 1972 में नगर पालिका का चुनाव लड़ा और उपाध्यक्ष चुने गये। यहीं से उनके राजनीतिक करियर की शुरूआत हुई। इसके बाद जफ़र अली नकवी ने 1977 में पहला लखीमपुर विधानसभा का चुनाव लड़ा और इस चुनाव में उनको हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने 1980 ने पहली बार कांग्रेस के टिकट पर लखीमपुर खीरी से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 1980-1991 तक उत्तरप्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। साथ ही 1980 से 81 तक के लिए उन्हें कांग्रेस (आई) के उत्तरप्रदेश विधान मंडल दल का सचिव बनाया गया। 1996 से 1999 तक राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य के रूप में ज़िम्मेदारी सम्हाली। 2000 से 2003 तक दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग का सदस्य बनाया गया। 2004 से 2009 तक अल्पसंख्यक शिक्षा के स्थाई समिति के अध्यक्ष पद पर आसीन रहे। 2009 में कांग्रेस पार्टी ने खीरी लोकसभा सीट से जफ़र को प्रत्याशी घोषित किया। इस चुनाव में अपनी स्वच्छ छवि के चलतेे जफ़र अली नकवी पार्टी की उपेक्षाओं पर खरे उतरे और उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के इलियास आज़मी को लगभग 8,780 मतों के अंतर से हराया और कुल 1,84,980 वोट हासिल कर लोकसभा पहुंचे। जफ़र अली नकवी ने अपने कार्यकाल में मीटर गेज रेलवे ट्रैक को ब्रॉड गेज में परिवर्तित कराने का काम किया। जो कि उनके सांसद बनने के 22 महीने में ही दिया गया था। 


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