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Chitragupta puja के बाद जरूर करें ये आरती, तुरंत मिलता है फल

भगवान चित्रगुप्त की आज विधि-विधान से पूजा की जाएगी

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Chitragupta puja ka subh muhurat

Chitragupta puja ka subh muhurat

जबलपुर। कायस्थ जाति के आराध्य भगवान चित्रगुप्त की आज विधि-विधान से पूजा की जाएगी। दिवाली के बाद कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भगवान चित्रगुप्त की पूजा का यह पर्व मनाया जाता है। भगवान चित्रगुप्त को हिन्दुओं के प्रमुख देवों में से एक माना जाता है। मान्यता यह भी है कि भगवान चित्रगुप्त ही मनुष्यों के पाप-पुण्य का पूरा लेखा-जोखा रखते हैं। जबलपुर में भी यह पर्व पूरे रीतिरिवाजों के साथ मनाया जा रहा है। सिहोरी के कायस्थ समाज के भगवान चित्रगुप्त मंदिर में इस पर्व के लिए खास तैयारियां की गई हैं। केवल कायस्थ समाज ही नहीं बल्कि सभी जातियों के लोग भगवान चित्रगुप्त की पूजा कर उन्हें आज के दिन नमन करते हैं।


चित्रगुप्त पूजा का महत्व
भगवान चित्रगुप्त ब्रह्माजी के पुत्र हैं। शास्त्रों के अनुसार महाभारत काल से भी इसका महत्व जुड़ा हुआ है। कहा यह भी जाता है कि भीष्म पितामह ने भी भगवान चित्रगुप्त की पूजा की थी और इसी से चित्रगुप्त खुश होकर उन्हें अमरता का वरदान दिया था. ऐसी मान्यता है चित्रगुप्त पूजा से गरीबी और अशिक्षा दूर होती है। इसी कारण कायस्थ लोग इस दिन लिखने और पढऩे का काम नहीं करते हैं। धर्मराज की सभा में पृथ्वीवासियों के पाप पुण्य का लेखा-जोखा रखने का काम भगवान चित्रगुप्त का ही है।


इस शुभ मुहूर्त में करें पूजन
सुबह पूजा स्थल साफ़ कर एक चौकी पर कपड़ा विछा कर श्री चित्रगुप्त जी का फोटो स्थापित करें। कलश को भी प्रतीक मान कर चित्रगुप्त पूजन किया जा सकता है। भगवान चित्रगुप्त की मूर्ति या फोटो पर फूल-माला चढ़ाकर एक सफेद कागज पर पांच देवताओं के नाम उन्हें स्मरण करते हुए लिखें। उसी कागज पर एक साल के आय-व्य्य का हिसाब लिखकर भगवान के सामने रख दें और भगवान चित्रगुप्त को अदरक और गुड़ का प्रसाद चढ़ाएं। पंडित नरेंद्र श्रोती बताते हैं कि चित्रगुप्त पूजा करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजे तक ही है। संभव हो तो चित्रगुप्त पूजन मंत्र पढ़ें-

मसीभाजन संयुक्तश्चरसि त्वम् ! महीतले .
लेखनी कटिनीहस्त चित्रगुप्त नमोस्तुते ..
चित्रगुप्त ! मस्तुभ्यं लेखकाक्षरदायकं .
कायस्थजातिमासाद्य चित्रगुप्त ! नामोअस्तुते


आरती अवश्य करें
पूजा के बाद निम्र आरती जरूर करें, इस पूजा का त्वरित फल प्राप्त होगा-
जय चित्रगुप्त यमेश तव, शरणागतम, शरणागतम
जय पूज्य पद पद्मेश तव शरणागतम, शरणागतम
जय देव देव दयानिधे, जय दीनबंधु कृपानिधे
कर्मेश तव धर्मेश तव शरणागतम, शरणागतम
जय चित्र अवतारी प्रभो, जय लेखनीधारी विभो
जय श्याम तन चित्रेश तव शरणागतम, शरणागतम
पुरुषादि भगवत् अंश जय, कायस्थ कुल अवतंश जय
जय शक्ति बुद्धि विशेष तव शरणागतम, शरणागतम
जय विज्ञ मंत्री धर्म के, ज्ञाता शुभाशुभ कर्म के
जय शांतिमय न्यायेश तव शरणागतम, शरणागतम
तव नाथ नाम प्रताप से, छूट जाएँ भय त्रय ताप से
हों दूर सर्व क्लेश तव शरणागतम, शरणागतम
हों दीन अनुरागी हरि, चाहें दया दृष्टि तेरी
कीजै कृपा करुणेश तव शरणागतम, शरणागतम