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मयंक साहू @जबलपुर. छात्रों की समस्याओं और शिकायतों को लेकर लोकपाल बिठाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। विश्वविद्यालयों की शिकायतों के लिए लोकपाल समय-समय पर विश्वविद्यालय में मौजूद रहेंगे। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा फिलहाल राज्यस्तर पर इस व्यवस्था की शुरुआत की जा रही है। जानकारों का कहना है कि इसका मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालयों के कामकाज में पारदर्शिता लाना तथा शिकायतों की सुनवाई करना है। इसके बाद पारम्परिक विश्वविद्यालयों में भी इनकी नियुक्ति की जाएगी। उच्च शिक्षा विभाग ने इसके लिए आवेदन मांगना शुरू कर दिया है।
विवि करेगा खर्च का वहन
लोकपाल को विश्वविद्यालय में शिकायतों की सुनवाई के दौरान पूरा खर्च विश्वविद्यालय को उठाना होगा। प्रतिदिन प्रति सुनवाई के एवज में विश्वद्यालय को 3000 रुपए का भुगतान करना होगा। वाहन व्यवस्था का जिम्मा भी विश्वविद्यालय को वहन करना होगा।
जिम्मेदारी तय नहीं
जानकारों के अनुसार अभी तक शिकायतों पर जिम्मेदारी तय नहीं हो पाती थी। शिकायतों के निराकरण के लिए छात्र परेशान रहते हैं। परेशान होकर छात्र अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा, इसके बाद आयुक्त उच्च शिक्षा के पास गुहार लगाने के लिए पहुंचते हैं। कई बार सीएम हेल्पलाइन में जाकर दरवाजा खटखटाना पड़ता है।
प्रोफसरों को मौका
राज्य स्तर पर विश्वविद्यालय लोकपाल के लिए रिटायर्ड प्रोफेसर के साथ ही सेवानिवृत्त जिला नयायाधीश भी इसके हकदार होंगे। सेवा निवृत्त को न्यूनतम 10 वर्ष का प्रशासकीय अनुभव होना आवश्यक होगा। इसके अलावा शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में किसी विश्वविद्यालय का कुलपति सहित सेवा निवृत्त प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी भी हकदार होंगे।
विश्वविद्यालयों में कई तरह की शिकायतें होती हैं। छात्रों से जुड़ी शिकायतों के साथ कई बार न्यायालयीन मामले भी होते हैं। इससे प्रकरणों के निराकरण में गति मिलेगी।
-डॉ. ब्रजेश सिंह, कुलसचिव रादुविवि
Published on:
18 Nov 2022 11:57 am
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