
madhya pradesh ka jangli janwar
जबलपुर। जंगलों में इंसानी दखल के चलते जंगली जानवर रहवासी क्षेत्रों में आने लगे हैं। यहां पहुंचने पर वे असुरक्षित हो जाते हैं, साथ ही गली मोहल्ले के कुत्तों का शिकार भी बन जाते हैं। ऐसे में वन विभाग की सक्रियता ही उन्हें बचा सकती है। लेकिन उसकी उदासीनता जानवरों की मौत का कारण भी बन सकती है। ऐसा ही मामला रविवार को शहपुरा में सामने आया है।
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बेलखेड़ा गांव में छह घंटे रही वन विभाग की टीम
12 घंटे में भी नहीं किया जा सका भटक कर आए नीलगाय का रेस्क्यू
शहपुरा रेंज के बेलखेड़ा में रविवार सुबह जंगल से भटककर पहुंचे नीलगाय को लेकर ग्रामीण परेशान हो गए। उन्होंने वन विभाग को सूचना दी। रेस्क्यू टीम पहुंची, लेकिन 12 घंटे के प्रयास बाद भी रात 9 बजे तक उसे वाहन पर नहीं चढ़ाया जा सका। वेटरनरी डॉक्टर भी पहुंचे, लेकिन बेहोश का इंजेक्शन नहीं लगाने में कामयाबी नहीं मिली। आखिरकार वन विभाग की टीम ने नीलगाय को खेतों की ओर बढ़ाकर रास्ता नाप लिया। योजना है कि फिर से नीलगाय गांव में आया, तो रेस्क्यू किया जाएगा।
गांव के स्कूल में एक नर नीलगाय (रोजड़) पहुंच गई। स्थानीय वन अमले ने पकड़ पाने से हाथ खड़े किए, तो शहर से बुलाई गई रेस्क्यू टीम और ग्रामीणों ने दोपहर एक बजे उसे पकड़ा और उसे पेड़ से बांध दिया। उसे वाहन में चढ़ाने की हर कोशिश बेकार गई। फिर वेटरनरी यूनिवर्सिटी के डॉ. अमोल रोकड़े सूचना दी। ताकि, नीलगाय को बेहोश कर जंगल में छोड़ा जा सके।
&जंगल से भटककर नीलगाय गांव में आ गया। ग्रामीणों की भीड़ के कारण रेस्क्यू में परेशानी हो रही है। उसे सुरक्षित तरीके से जंगल में पहुंचाने की कोशिश हुई लेकिन वन्य प्राणी को स्थिर नहीं होने के कारण रेस्क्यू नहीं हो पाया।
- मंजू उईके, रेंजर शहपुरा
ताकतवर और सरपट भागने वाला वन्य प्राणी
नीलगाय ताकतवर और सरपट भागने वाला वन्य प्राणी है। रेस्क्यू टीम के प्रभारी गुलाब सिंह राजपूत, शारदा यादव एवं रामविनोद मांझी मौके पर मौजूद थे।
Updated on:
22 Oct 2018 02:28 pm
Published on:
22 Oct 2018 02:24 pm
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