
जबलपुर. डॉक्टर्स का काम कोरेाना काल में निखर गया है। धरती पर भगवान को जिसने नहीं देखा, उन्होंने डॉक्टर्स के रूप में ईश्वर को पाया है। डिग्री लेने का मतलब अब यही है कि आप समाज सेवा करने के लिए तैयार हैं। यह बात चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्ववास कैलाश सारंग ने मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह पर कही। मानस भवन में आयोजित हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने की। आयोजन में राज्यपाल द्वारा 101 प्रतिभागियों को गोल्ड मेडल प्रदान किए गए। मेडिकल यूनिवर्सिटी कुलपति डॉ. समान शेखर ने प्रतिभागियों को शपथ दिलवाई। कुलसचिव डॉ. प्रभात कुमार बुधौलिया ने कार्यक्रम रूपरेखा प्रस्तुत की। अपर मुख्य सचिव , चिकित्सा शिक्षा, मो. सुलेमान मंचासीन रहे। कार्यक्रम में एडीजी उमेश जोगा, कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी, एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा, महापौर जगत बहादुर अन्नू, डीन डॉ. गीता गुइन, डॉ. कविता एन सिंह, आदि मौजूद थे। संचालन गिरीश मैराल ने किया।कार्यक्रम झलकियां
- समारोह में 101 प्रतिभागियों को गोल्ड मेडल प्रदान किए गए।- कार्यक्रम में छठवीं बटालियन बैंड दल द्वारा प्रस्तुति दी गई।
- प्रथम दीक्षांत समारोह की स्मारिका का विमोचन किया गया।- पीली पगड़ी रही ड्रेस कोड का प्रमुख हिस्सा।
- पीली हाफ ब्लेजर सभी के लिए रही सामान्य।अव्यव्स्थाओं का रहा माहौल
कार्यक्रम में प्रतिभागियों के बीच तैयारियों का काफी आभाव नजर आया। निर्धारित ड्रेसकोड में भी मनमानी दिखी। ड्रेस कोड को फीमेल्स को वाइट और क्रीम कलर की साड़ी पहनी थी, लेकिन कई प्रतिभागी किसी भी रंग की साड़ी, सूट और कुर्ती में नजर आई। डिग्री लेने वाले प्रतिभागियों में अनुशासन भी नहीं था, क्योंकि मंच से उतर कर प्रतिभागी निर्धारित जगह में ना बैठकर इधर-उधर घूम रहे थे। डिग्रियों के नाम में भी काफी कन्फ्यूजन रहा। इसके चलते किसी प्रतिभागी की डिग्री किसी प्रतिभागी को पकड़ा दी गई।वर्जन
दीक्षांत में गोल्ड मेडल मिलने का एक्सपीरियंस काफी गर्वपूर्ण रहा है। पैरेंट्स साथ इंदौर के नर्सिंग कॉलेज से जबलपुर आईं थी।पूजा वी नायर, इंदौर
दीक्षांत में मरीजों की सेवा करने की शपथ ली है। भविष्य में इसी दिशा में काम करूंगी। मैं शासकीय यूनानी मेडिकल कॉलेज भोपाल से आई थी।बुशरा हुसैन, भोपाल
मैंने साल 2015 में डीडीटी की पढ़ाई की है। पढ़ाई पूरी होने के बाद दीक्षांत में मेडल मिलना किसी सपने के पूरे होने जैसा अहसास दिला रहा है।आयुषि राठौर, कोटा
मुझे 2016 बैच के लिए डी फार्मा करने के लिए गोल्ड मेडल मिला है। राज्यपाल के हाथों मेडल मिलना जीवन की पूंजी में शामिल हो गया।अनिल कुमार प्रजापति, रीवा
मैंने काया चिकित्सा में पढ़ाई की है जिसके लिए समारोह में गोल्ड मेडल प्राप्त किया। उपलिब्ध में माता पिता का संघर्ष और सहयोग रहा है।प्रीति चौधरी, जबलपुर
Published on:
30 Jul 2022 08:45 pm
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