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जबलपुर. बैचलर ऑफ होम्योपैथी एंड सर्जरी (बीएचएमएस) में किसी एक विषय में फेल छात्र-छात्राएं अब संबंधित विषय की परीक्षा में छह महीने बाद ही शामिल हो सकेंगे। उन्हें दोबारा परीक्षा पास करने के लिए एक वर्ष का इंतजार करना नहीं पड़ेगा। मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय ने सेंट्रल काउंसिल होम्योपैथी(सीसीएच) द्वारा बीएचएमएस में एटीकेटी पात्रता को लेकर किए गए बदलाव को वर्तमान सत्र से लागू किया है। नए प्रावधान में से एटीकेटी आने पर छात्र-छात्राओं की डिग्री अब पहले के मुकाबले जल्दी पूरी हो सकेगी।
पहले सिर्फ फॉर्मा में नियम था
बीएचएमएस में अभी तक एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और होम्योपैथी फॉर्मेसी की एटकेटी के पात्रता नियम अलग-अलग थे। फॉर्मेसी में एटीकेटी पर संबंधित छात्र को छह महीने बाद दोबारा परीक्षा में शामिल होने की पात्रता थी। एनाटॉमी या फिजियोलॉजी विषय में फेल होने पर एक साल बाद एटीकेटी परीक्षा में बैठने का मौका मिलता था।
एक विषय में फेल तो एटीकेटी
सीसीएच के नए अध्यादेश के लागू होने पर एटीकेटी की पात्रता में कोई बदलाव नहीं हुआ है। बीएचएमएस फस्र्ट इयर में एनाटॉमी, फिजियोलॉजी या होम्योपैथी फॉमेर्सी विषय की पढ़ाई होती है। इसमें से किसी एक विषय में फेल होने पर ही एटीकेटी की पात्रता होगी। एटीकेटी की पात्रता और छह माह की समयावधि संबंधी प्रावधान तत्काल प्रभाव से बीएचएमएस के सभी बैच पर लागू कर दिए गए है।
विद्यार्थी को बीएचएमएस सेकेंड इयर की परीक्षा में प्रवेश की अनुमति से कम से कम एक सत्र पूर्व (छह माह) बीएचएमएस फस्र्ट इयर परीक्षा की सभी विषय में उत्तीर्ण होना होगा। फस्र्ट इयर में किसी भी एक विषय में एनाटॉमी/ फिजियोलॉजी/ होम्योपैथिक फॉर्मेसी में से किसी भी एक विषय में अनुत्तीर्ण पर एटीकेटी की सुविधा होगी।
- डॉ. आरएस शर्मा, कुलपति, मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय
Published on:
15 Apr 2019 08:36 pm
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