12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

14 साल का बच्चा MBBS डॉक्टर… CBSE को हाईकोर्ट की फटकार, हैरान कर देगा ये केस

MP High Court: 10 साल के बच्चे के लिए सीबीएसई की एडमिशन पॉलिसी पर एमपी हाई कोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी, संस्कारधानी जबलपुर का मामला कर देगा हैरान...

2 min read
Google source verification
MP High Court on CBSE Policy

MP High Court on CBSE Policy(फोटो: सोशल मीडिया)

MP High Court: 'आपने प्रतिभाशाली बच्चों के बारे में नहीं सुना? जो 14 साल की उम्र में एमबीबीएस डॉक्टर हैं। 10 की उम्र में सर्जन हैं और 12 साल का बच्चा ग्रैंड मास्टर बन जाता है। 13 की उम्र में लॉजिस्टिक कंपनी खड़ी कर देता है। आप 10 साल के बच्चे को 9वीं में प्रवेश इसलिए नहीं देना चाहते, क्योंकि आपकी नीति उम्र के आधार पर प्रतिबंधित करती है। आप बुद्धिमत्ता पर अंकुश लगाना चाहते हैं तो आपकी राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर पुनर्विचार की जरूरत है।'

यह तल्ख टिप्पणी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र और सीबीएसई की नीति को लेकर की। कोर्ट ने बाल प्रतिभाओं पर केंद्र की नीति पर स्पष्टीकरण मांगा है। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ सीबीएसई की उस अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती दी। कोर्ट ने 10 साल के आरव के पिता दिलीप सिंह की याचिका पर सिंगल बेंच ने बोर्ड को 9वीं में प्रवेश देने पर विचार का आदेश दिया था। सीबीएसई अध्यक्ष ने अपील कर कहा, शिक्षा नीति में 9वीं में 10 साल के बच्चे के प्रवेश की अनुमति नहीं है।

स्कूल के दिनों को किया याद

स्कूल के दिनों को याद करते हुए, खंडपीठ ने कहा, जब हम स्कूल में थे, तो असाधारण रूप से अच्छे छात्रों को दोहरी पदोन्नति मिलती थी। हालांकि सीबीएसई के वकील ने दावा किया कि नई शिक्षा नीति के अनुसार, स्कूलों को 5+3+3+4 के पैटर्न का पालन करना होगा, जिसका अर्थ है कि 6 साल के बच्चे को पहली में कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा।

ये है मामला

जबलपुर के आरव का दिमाग सुपर कम्प्यूटर की तरह काम करता है। वह 10 की उम्र में 10वीं के सवाल पलक झपकते हल कर देता है। इस विलक्षण प्रतिभा से ही उम्र से परे उसे 8वीं तक न सिर्फ प्रवेश दिया, बल्कि पढऩे की अनुमति भी दी। अब 10 की उम्र का हवाला देते हुए 9वीं में प्रवेश से इनकार कर राष्ट्रीय नीति का हवाला दिया गया।

पुरस्कार…बुद्धिमत्ता पर अंकुश भी लगाते हैं

सीबीएसई के वकील ने दावा किया कि परीक्षा नियमों के अनुसार, राज्य में ज़्यादा प्रचलित नीति का स्कूलों को पालन करना होगा। नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील से पूछा कि कृपया बताएं कि आप प्रतिभाशाली बच्चों के लिए क्या करना चाहते हैं? एक ओर केंद्र सरकार उन्हें मान्यता दे रही है। उन्हें पुरस्कार दे रही है और आप उनकी बुद्धिमत्ता पर अंकुश लगाना चाहते हैं। इन टिह्रश्वपणियों के साथ पीठ ने आदेश दिया, नोटिस जारी करें।