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जबलपुर. फिजियोथैरेपिस्ट, रेडियोग्राफर, ऑडियोलॉजी एंड स्पीच थैरेपी जैसे डिग्री-डिप्लोमाधारी अपने नाम के आगे डॉक्टर नहीं लगा सकते। नहीं डॉक्टर बनकर मरीजों का इलाज करेंगे। ये चेतावनी मप्र पैरामेडिकल काउंसिल की ओर से जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को जारी किए गए है। काउंसिल को लगातार इस बात की शिकायत मिल रही थी कि कई पैरामेडिकल डिग्री और डिप्लोमाधारी अपने नाम के आगे डॉक्टर लिख रहे है। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में मरीजों का उपचार भी कर रहे है। इससे मरीजों में भ्रम की स्थिति बन रही है। शिकायतों के बाद पैरामेडिकल काउंसिल ने कलेक्टर एवं सीएमएचओ को अवैध तरीके से अपने नाम के आगे डॉक्टर लगाने वालों के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है।
38 प्रकार के कोर्स
पैरामेडिकल काउंसिल की ओर से एक्स-रे टेक्नीशियन, रेडियोग्राफर, फिजियोथैरेपिस्ट, बैचलर इन ऑडियोलॉजी एंड स्पीच, बैचलर ऑफ मेडिकल टेक्नोलॉजी रेडियोलॉजी टेक्नीक्स, सीटी एंड एमआरआइ टेक्नीशियन जैसे कई डिग्री एवं डिप्लोमा कोर्स को मान्यता प्रदान की जाती है। इसमें छह माह के डिप्लोमा कोर्स से लेकर तीन और चार वर्षीय यूजी और पीजी प्रोग्राम शामिल है। ऐसे करीब 38 प्रकार के कोर्स है।
पंजीयन के बिना न पढ़ाई, न ही प्रेक्टिस
मप्र पैरामेडिकल काउंसिल (मध्यप्रदेश सहचिकित्सीय परिषद) की धारा 44(2) के अनुसार सहचिकित्सीय कर्मी मध्यप्रदेश सहचिकित्सीय परिषद में पंजीयन के बिना न तो अध्यापन कार्य करा सकेंगे और न ही प्रैक्टिस के साथ सह चिकित्सीय कर्मी के रूप में कोई भी कार्य करेंगे।
डॉक्टर लिखने अधिकृत
मप्र पैरामेडिकल काउंसिल रजिस्ट्रार के आदेश से अनाधिकृत व्यक्ति डॉक्टर शब्द का प्रयोग नहीं कर सकेंगे। नियमानुसार फिलहाल एमबीबीएस, बीडीएस, बीएएमएस, बीएचएमएस, बीयूएमएस, बीएसएमएस, वेटरनरी डॉक्टर और पीएचडी डिग्रीधारी ही डॉक्टर शब्द का प्रयोग नाम के आगे कर सकते हैं।
- डॉ राकेश पाण्डेय, राष्ट्रीय प्रवक्ता, आयुष मेडिकल एसोसिएशन
Published on:
30 Jun 2019 03:15 pm
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