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पर्यावरण संरक्षण के सारथी बनकर पौधरोपण और जीवों के लिए काम

पत्रिका डे स्पेशल- नेचर कन्जर्वेशन डे आज

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जबलपुर

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Neha Sen

Jul 27, 2022

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प्लस रिपोर्टर,जबलपुर. प्रकृति का संरक्षण प्रत्येक के लिए जरूरी हो गया है। इसके अंतर्गत शहरवासियों द्वारा इस दिशा में कई तरह के काम भी किए जा रहे हैं। कोई अधिक से अधिक पौधरोपण कर उनके संरक्षण की जिम्मेदारी निभा रहा है, तो कई प्लास्टिक मुक्त वातावरण के लिए काम कर रहा है। लोगों ने अब इस बात को मान लिया है कि प्रकृति के संरक्षण में ही उनका जीवन छिपा है। आज नेचर कन्जर्वेशन डे है। इस वर्ष की थीम कट डाउन ऑन प्लास्टिक यूज रखी गई है। इस मौके पर आइए मिलते हैं शहर के कुछ ऐसे ही लोगों से जो प्रकृति संरक्षण को लेकर काम कर रहे हैं।

पैकेजिंग पॉलिथिन का कलेक्शनसुनीता जैन, चंदना संभागाध्यक्ष, जैन महिला परिषद् ने बताया कि शहर में जैन महिला परिषदों द्वारा विशेष काम किए जाते हैं। प्रकृति संरक्षण को लेकर ऐसा ही काम शहर की सभी 32 शाखाओं द्वारा किया जा रहा है। इसमें घरों से निकलने वाली फूड पैकेजिंग पॉलिथिन को कलेक्ट किया जाता है। अब तक काफी पाॅलिथिन इकट्ठी हो चुकी है। अधिक मात्रा में कलेक्शन के बाद कलाकारों और प्रशिक्षकों के जरिए वर्कशॉप लगवाई जाएंगी। ताकि पॉलिथिन से बनने वाली कलात्मक चीजों का प्रिाक्षण दिया जा सके।

अब तक लगा चुके हैं 875 पौधेइंद्र सिंह राजपूत कहते हैं कि प्रकृति संरक्षण के लिए पौधरोपण जरूरी है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा पौधरोपण करने का काम करते हैं। शिक्षक होने के साथ पर्यावरण मित्र भी हैं इसलिए लोगों को उपहार स्वरूप पौधे भी देते हैं ताकि लोग अपने आसपास पौधरोपण कर सकें। इंद्र सिंह द्वारा अब तक 875 पौधे लगाए जा चुके हैं। वे कई वर्षों से यह काम कर रहे हैं। उनके द्वारा लगाए हुए कई पौधे अब फल भी दे रहे हैं। पौधरोपण के साथ वे उनका नाम भी लगाते हैं, ताकि समय के साथ यह पता चले कि कौन सा पौधा कहां लगाया है। इनकी वे तब तक देखरेख करते हैं जब तक पौधे बड़े नहीं हो जाते।

जीवों के संरक्षण में जुटे युवाशहर के संदेश तिवारी और अंकिता पाण्डे दो ऐसे युवा हैं जो जीवों के संरक्षण को लेकर काम कर रहे हैं। दोनों युवाओं द्वारा जीवों का रेस्क्यू कर उन्हें जंगलों में छोड़ते हैं। इन युवाओं द्वारा जबलपुर एनिमल वेलफेयर बनाया गया है, जिसके अंतर्गत वे पक्षीराज संस्था भी चलाते हैं। दोनों का कहना है कि पर्यावरण के लिए पेड़-पौधों के साथ जीव भी जरूरी है। ऐसे में शहर में पाए जाने वाले सांप, गुहेरा एवं अन्य वन्य जीवों को शहर से पकड़कर जंगलों में सुरक्षित छोड़ते हैं।