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चिंता की बात नहीं, गाड़ी बिना चलवाए ही दिलवा देंगे लाइसेंस

पत्रिका लाइव: कार चलाते भले न बने लेकिन जिला परिवहन शाखा में लाइसेंस बन जाएगा। आरटीओ में दलालों का गिरोह सक्रिय है।

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sudarshan@123 kumar

Dec 16, 2016

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गौरव दुबे @ जबलपुर। कार चलाते भले न बने लेकिन जिला परिवहन शाखा में लाइसेंस बन जाएगा। आरटीओ में दलालों का गिरोह सक्रिय है। जो रुपए लेकर बिना किसी प्रक्रिया के लाइसेंस उपलब्ध कराते हैं। पत्रिका की पड़ताल में यहां संगठित गिरोह का खुलासा हुआ। दलालों ने यह भी स्वीकार किया कि इस खेल में एआरटीओ से लेकर आरटीओ तक की सहमति है। दलाली के इस खेल का नाम सीएफ है। इस कोड के जरिए ही दलाल अधिकारियों के पास केस पहुंचाते हैं। चर्चा के दौरान यह भी खुलासा हुआ कि सौ से ज्यादा दलाल परिसर में सक्रिय हैं।
ऑन लाइन के बाद ऑफ लाइन रिश्वत- परिवहन विभाग के निर्धारित लाइसेंस निर्माण की प्रक्रिया में ऑन लाइन शुल्क जमा करके लाइसेंस प्राप्त करने का प्रावधाान है। लेकिन आरटीओ की ऑनलाइन खिड़की में आवेदकों के लिए सीधे कुछ ही आवेदन जमा किए जाते हैं। शेष आवेदन कागजी खामियां बताकर रोके जाते हैं जो कि दलालों के माध्यम से जब जाते हैं तो बिना किसी पड़ताल के 15 सौ से 2 हजार में सौदा हो जाता है। इसके के एवज में दलाल आवेदक को वाहन चलाने की टेस्टिंग सहित अन्य कोई परीक्षा नहीं दिए जाने की गारंटी देता है। जानकारों के मुताबिक प्रति दिन औसत 250 आवेदन सिर्फ लर्निंग लाइसेंस के ही आते हैं। जिनमें से दो सौ लाइसेंस दलालों के जरिए कराए जाते हैं। हर दलाल औसत 1500 रुपए भी ले तो इस हिसाब से 2 लाख 26 हजार रुपए अतिरिक्त आता है। एक माह में 67 लाख 80 हजार रुपए लाइसेंस बनाने की दलाली में प्राप्त होते हैं।
स्टिंग-एक
रिपोर्टर- लाइसेंस बनवाना है?
दलाल- बन जाएगा।
रिपोर्टर-आपका नाम क्या है?
दलाल- करन पटेल।
रिपोर्टर- 2 प्लस 4 के लाइसेंस में कितनी फीस लगेगी ?
दलाल-1500 रुपए में दोनों बना देंगे।
रिपोर्टर- इससे कम में नहीं बनेगा?
दलाल- अरे भैया सीएफ देना
पड़ता है।
रिपोर्टर- सीएफ क्या होता है?
दलाल- भाई आरटीओ को जाता है सीएफ।
रिपोर्टर- क्या है यह सीएफ
दलाल- जाने दीजिए। ये यहां का कोडवर्ड है। नीचे से लेकर ऊपर तक पैसा देना पड़ता है।
रिपोर्टर- गाड़ी चलवाकर तो कोई नहीं देखेगा?
दलाल- हम तो बैठे हैं। बिना चलवाए लाइसेंस दिलवा देंगे।
रिपोर्टर- लाइसेंस पोस्ट होकर आएगा या कार्यालय से मिलेगा?
दलाल- 100 रुपए इसलिए अलग से ले रहा हूं कि यहीं से आपको लाइसेंस उपलब्ध करा सकूं।
रिपोर्टर- किसे देना पड़ेगा?
दलाल- अरे, यहां के बाबू को भी 100 रुपए देना पड़ते है। तब बिना पोस्ट किए लाइसेंस मिल पाएगा।
रिपोर्टर- काम तो हो जाएगा ना?
दलाल- हां, हम तो यहां 8 साल से काम कर रहे हैं। रजिस्टर्ड हैं।
हमारे नाम से ही लाइसेंस तैयार होते हैं।

स्टिंग-दो
एक दलाल से फोन में बातचीत
रिपोर्टर- कौन बोल रहे हैं?
दलाल- जीत हूं।
रिपोर्टर- लाइसेंस बनवाना है?
दलाल- हां तो मार्कशीट, परिचय पत्र की फोटो कॉपी दे दीजिए।
रिपोर्टर- परीक्षा तो नहीं देना पड़ेगा?
दलाल- नहीं।
रिपोर्टर- कार भी नहीं आती, चलाने तो नहीं बोलेंगे बाद में?
दलाल- कोई टेंशन नहीं लो आप। सब काम हो जाएगा।
रिपोर्टर-कितने पैसे लगेंगे?
दलाल- 1600 रुपए लगेंगे। सबको देना पड़ता है।


स्टिंग-तीन
रिपोर्टर- आप यहीं काम करते हैं?
ऋषि- हां। क्या काम है आपको।
रिपोर्टर-लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया पता करने आया हूं। कौन बताएगा?
ऋषि - मैं बनवा देता हूं।
रिपोर्टर- मेरा और बहन का लाइसेंस बनवाना है, कितने रुपए लगेंगे?
ऋषि- महिलाओं की फीस कम है तो उनका एक हजार और पुरुषों का 15 सौ रुपए।
रिपोर्टर- आना तो नहीं पड़ेगा बार-बार?
ऋषि- बिल्कुल भी नहीं। सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए ही बुलवाऊंगा।

जांच कराई जाएगी
आरटीओ कार्यालय परिसर में अन्य किराएदार भी हैं। इस आड़ में यहां पर लोग आकर दलाली कर रहे होंगे। मुझ पर झूठा आरोप लगा रहे हैं। मामले की जांच कराई जाएगी।
जीतेन्द्र रघुवंशी, आरटीओ

सीएफ क्या होता है मुझे नहीं पता। कार्यालय में नियमानुसार काम किया जाता है।

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विक्रम सिंह राठौर, एआरटीओ