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मप्र में 14 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगा ओबीसी आरक्षण, हाईकोर्ट ने रोक बरकरार रखी

हाईकोर्ट में 4 सप्ताह बढ़ी सुनवाई    

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जबलपुर। ओबीसी आरक्षण बढ़ाकर 27 फीसदी करने को दी गई चुनौती पर मंगलवार को मप्र हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस संजय यादव व जस्टिस बीके श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच ने 14 फीसदी से अधिक ओबीसी आरक्षण पर लगाई गई रोक आगामी आदेश तक बरकरार रखने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी।

यह है मामला

जबलपुर की छात्रा आकांक्षा दुबे सहित अन्य की ओर से राज्य सरकार के 8 मार्च 2019 को जारी संशोधन अध्यादेश को चुनौती दी गई है। कहा गया कि संशोधन के कारण ओबीसी आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी हो गया है। जिससे आरक्षण का कुल प्रतिशत 50 से बढकऱ 63 हो गया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं किया जा सकता। एक अन्य याचिका में कहा गया कि एमपीपीएससी ने नवंबर 2019 में 450 शासकीय पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया में 27 प्रतिशत पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित कर लिए।

वहीं राजस्थान निवासी शांतिलाल जोशी सहित 5 छात्रों ने एक अन्य याचिका में कहा कि 28 अगस्त 2018 को मप्र सरकार ने 15000 उच्च माध्यमिक स्कूल शिक्षकों के लिए विज्ञापन प्रकाशित कर भर्ती परीक्षा कराई। 20 जनवरी 2020 को इस सम्बंध में सरकार ने इन पदों में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण लागू करने की नियम निर्देशिका जारी कर दी। अधिवक्ता ब्रह्मेन्द्र पाठक, शिवेश अग्निहोत्री, रीना पाठक, राममिलन साकेत ने तर्क दिया कि भर्ती प्रक्रिया 2018 में आरम्भ हुई, लेकिन राज्य सरकार ने 2019 का अध्यादेश इसमें लागू किया। यह अनुचित है। अधिवक्ता आदित्य संघी ने तर्क दिया कि हाइकोर्ट ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी करने का अध्यादेश 19 मार्च 2019 में स्थगित कर चुका है। इसलिए किसी भी सरकारी भर्ती या शैक्षणिक प्रवेश प्रक्रिया में 14 प्रतिशत से अधिक ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जा सकता।
रोक वापस लेने से इनकार

19 मार्च 2019 को कोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश में 14 फीसदी से अधिक ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी थी। इसी आदेश को बरकरार रखते हुए कोर्ट ने 28 जनवरी को एमपीपीएससी की करीब 400 भर्तियों में भी ओबीसी आरक्षण बढ़ाने पर अंतरिम रोक लगा दी थी। इस आदेश को वापस लेने के सरकार के आग्रह को कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया। सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता के साथ महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने पक्ष रखा। ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह, प्रमेन्द्र सेन उपस्थित हुए। कोर्ट ने मामले से जुड़ी अन्य याचिकाएं भी जोडकऱ एक साथ 4 सप्ताह बाद सुनवाई करने का निर्देश दिया।