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इस शिला से मिली थी ओशो को शोहरत….आप भी देखें 

यहां आए बिना हर ओशो प्रेमी का ध्यान, तप और वह स्वयं अपने आप को अधूरा महसूस करता है

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Lali Kosta

Jul 06, 2016

Osho

Osho

जबलपुर। संस्कारधानी आचार्य रजनीश की कर्म, ज्ञान और साधना भूमि रही है। यह पूरे विश्व में उनके अनुयायीयों के लिए प्रमुख स्थल है, यहां आए बिना हर ओशो प्रेमी का ध्यान, तप और वह स्वयं अपने आप को अधूरा महसूस करता है। उनकी तपोस्थली की शिला में आज भी ओशो का अंश महसूस होता है।

साधना स्थली के आस पास का वातावरण उनकी उपस्थिति का आभास कराती है। देवताल के कण-कण ने ओशो को पिया है, इसलिए आज भी यहां के पेड़-पौधों और पत्थरों में उनकी मौजूदगी ठीक उसी तरह है जैसे वे स्वयं यहां विचरण कर रहे हों।
उर्जा से लबालब
ओशो हमेशा करते रहते थे कि देवताल मेरा हिमालय है।' इस हिमालय में आकर मैं उर्जा से लबालब भर जाता हूं। ऐसी पहाडिय़ां पूरे देश में कहीं और नहीं मिलेंगी, जिन पर बैठकर मैं ऊर्जा प्राप्त कर सकूं और उसे पूरे भारत व विश्व में बांटने जाता हूं। ताकि लोगों आत्म ज्ञान और समस्त सांसारिक कष्ट से मुक्ति का दर्शन करा सकूं।

वर्तमान को पहले ही बता दिया
ओशो ने भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार, अराजकता, जातिवाद सहित वर्तमान की अन्य समस्याओं पर वर्षों पहले ही चेता दिया था, इसके साथ ही उन्होंने उन सबका समाधान भी अपनी किताबों में वर्णित किया था। वर्तमान की सरकारें यदि उन बातों पर अमल करती हैं तो देश में समस्त दीनता और दरिद्रता का अंत हो जाएगा। देश पूरी दुनिया में खुशहाली का सबसे अच्छा उदाहरण होगा। बस जरुरत है तो उनके जीवन दर्शन को समझकर अपने जीवन व कर्मों में उतारने की।

Here austerity of Osho
पुणे को बनाना पड़ा मुख्य केन्द्र
आचार्य रजनीश देवताल में अंतर्राराष्टï्रीय ओशो आध्यात्म केन्द्र बनाना चाहते थे। लेकिन आवागमन के साधनों की कमी और आने वाले अनुयायीयों को होने वाली कठिनाईयों को देखते हुए उन्होंने महाराष्टï्र के पुणे शहर को चुना। क्योंकि वहां हवाई सेवा के साथ अन्य सभी सुविधाएं सहजता से उपलब्ध थीं। इतना महत्वपूर्ण स्थान होने के बाद भी देवताल केन्द्र में आने वाली सड़क दुर्दशा का शिकार है। किंतु स्थानीय प्रशासन, जनप्रतिनिधी इस ओर कोई ध्यान नहीं देते।
Here austerity of Osho
पूरे विश्व में बोलबाला
आज पूरे विश्व में जहां इंटरनेट का बोल-बाला है, इसके बाद भी हर दूसरे मिनिट में ओशो साहित्य की एक किताब की बिक्री होती है। ओशो ने करीब 600 पुस्तकें लिखीं। संभोग से समाधी की ओर सबसे चर्चित साहित्य रहा है। उनके चाहने वालों ने सभी साहित्य को लगभग 100 विदेशी भाषाओं में अनुवादित कर दुनिया के कोने-कोने में फैलाने का कार्य कर रहे हैं।
इसके साथ ही रसिया, चाइना एवं अरब जैसे कम्युनिस्ट देशों में भी अब ओशो पढ़े और सुने जा रहे हैं। इसकी मुख्य कारण है कि ओशो में किसी प्रकार का जातिय, धार्मिक पाखंड नहीं है। यहां सिर्फ खुशहाल जीवन जीने का वैज्ञानिक दृष्टिकोण मिलता है। इसी के साथ नेट, मोबाइल और सीडी में भी ओशो वाणी लोगों की पसंद बनी हुई है।
Here austerity of Osho
ओशो दर्शन पर पीएचडी
ओशो के आध्यात्मिक जीवन की प्रसिद्धि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि उनके जीवन पर सैकड़ों लोगों ने पीएचडी कर ली है। ओशो के शिक्षा दर्शन, नारी दर्शन, आध्यात्मिक, दार्शनिक और जीवन दर्शन सहित विभिन्न पहलु शामिल हैं। वर्तमान में भी बहुत से लोग पीएचडी कर रहे हैं।
आज भी प्रासंगिक
आचार्य रजनीश द्वारा व्यक्त किए गए विचार और मार्ग आ भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने मानव जीवन से जुड़े हर पहलू पर कार्य किया और लोगों को आत्म शांति के साथ आध्यात्म का रास्ता दिखाया। उन्होंने संस्कृति की अपेक्षा स्वयं के विकास पर ज्यादा जोर दिया। वह इसलिए ताकि विकृत संस्कृतियों को बढ़ावा न मिले। उक्त बातें स्वामी शिखर ने बतार्ईं। उन्होंने कहा कि ओशो ने पाश्चात्य संस्कृति के लिए कहा था कि वहां भौतिक शांति जरूर मिल जाती है, लेकिन अंत में मन: शांति के लिए वे भारत का रुख करते हैं। आज पूरे विश्व में ओशो आत्म शांति के सबसे बड़े उदाहरण है।
Here austerity of Osho
मौलश्री पर स्मारक
आचार्य रजनीश से ओशो बनने के साक्षी भंवरताल उद्यान स्थित मौलश्री वृक्ष के पास करीब पंद्रह लाख की लागत से आकर्षक ओशो स्मारक नगर निगम एवं ओशो केन्द्र के सहयोग से बनाया जाना है। स्मारक में ओशो के विचार एवं उनके उपदेशों को शिलाओं पर अंकित किया जाएगा एवं अनुयायीयों को बैठने व ध्यान करने का स्थान बनाया जाएगा।

जन्मोत्सव पर धूम
आचार्य रजनीश ओशो का जन्मोत्सव 11 दिसम्बर को धूमधाम से देवताल स्थित आश्रम में मनाया जाता है। इस दिन देश विदेश में रहने वाले ओशो अनुयायी शामिल होने आते हैं। सभी अनुयायी नगर भ्रमण करते हुए ओशो संदशों को जन-जन तक पहुंचाते हैं। वे बताते हैं कि ओशो एकमात्र ऐसे माध्यम हैं जो स्वयं को जागृत करने का सरल व आसान तरीका बताते हैं।

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