
Government school shines, private color faded
जबलपुर. एजुकेशन में एक्सपेरिमेंट के मामले में सीबीएसई हमेशा आगे रहा है। इसके पीछे बोर्ड का मकसद छात्रों की क्रिएटिविटी बढ़ाना, उनमें लॉजिकल थॉट डवलप करने और लर्निंग आउटकम को सुधारना रहा है। इसी कड़ी में बोर्ड ने मूल्यांकन प्रणाली को संशोधित किया है। इसके तहत 12वीं कक्षा के सभी विषयों में छात्रों के आंतरिक मूल्यांकन के तत्व जोड़े जाएंगे। अभी 12वीं में गणित, पॉलीटिकल साइंस और लीगल स्टडीज जैसे कई विषयों में 100 अंकों की लिखित परीक्षा होती है। लेकिन इन प्रस्तावित योजना के तहत अगले सत्र से गणित और पॉलीटिकल साइंस जैसे विषयों में भी कम से कम 20 अंकों का इंटरनल असेसमेंट यानी प्रैक्टिकल परीक्षा होगी। यानी बोर्ड एग्जाम में लिखित परीक्षा केवल 80 या उससे कम अंकों की होगी। इससे छात्रों की रचनात्मकता बढ़ाने के साथ उनके लर्निंग आउटकम में भी सुधार होगा। सीबीएसई इन प्रस्तावित बदलावों को अप्रैल में शुरू होने वाले आगामी शैक्षणिक सत्र यानी 2019-20 से लागू करेगा।
75 फीसदी सब्जेक्टिव और 25 प्रतिशत ऑब्जेक्टिव सवाल
सब कुछ ठीक रहा तो अगले साल से बोर्ड ऑब्जेक्टिव भी पूछेगा। कम से कम 25 फीसदी प्रश्न ऑब्जेक्टिव होंगे, जिनमें मल्टीपल च्वाइस क्चेश्चन शामिल होंगे। वहीं सब्जेक्टिव सवाल 75 प्रतिशत पूछे जाएंगे। सब्जेक्टिव प्रश्नों की संख्या कम की जाएगी ताकि छात्रों को विश्लेषणात्मक और रचनात्मक जवाब देने के लिए पर्याप्त समय मिल सके। दसवीं के कई सबजेक्ट में सीबीएसई ने पहले ही 20 अंकों का मल्टीपल च्वाइस सवाल पूछने का प्रावधान किया हुआ है।
इस वजह से किया जा रहा चेंजेस
छात्रों के मूल्यांकन की प्रक्रिया में बदलाव करने की एक वजह केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2021 में पीसा में भाग लेने की घोषणा करना है। दूसरी वजह नेशनल असेसमेंट सर्वे 2017-18 में 10वीं के छात्रों का खराब प्रदर्शन है। नेशनल असेसमेंट सर्वे के रिपोर्ट कार्ड के अनुसार मैथ्स, साइंस, सोशल साइंस, इंग्लिश और आधुनिक भारतीय भाषाओं में दसवीं के छात्रों का प्रदर्शन क्रमश: 52, 51, 53, 58 और 62 फीसदी था। हालांकि, इनमें राज्यों के शिक्षा बोर्ड के मुकाबले सीबीएसई के छात्रों का प्रदर्शन थोड़ा बेहतर था।
Published on:
12 Mar 2019 01:13 pm
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