
अदालत का फैसला (प्रतीकात्मक फोटो)
जबलपुर. पांच साल की मासूम संग दुष्कर्म और धमकी देने के आरोप में कारागार में बंद आरोपी की जमानत अर्जी को अदालत ने न केवल खारिज कर दिया बल्कि उसके कृत्य को क्रूरतम करार दिया। कहा ऐसे व्यक्ति की सही जगह जेल ही है।
घटना जून 2020 की है जिसके तहत आरोपी ने पांच साल की बच्ची संग दुष्कर्म किया फिर उसे घटना के बारे में किसी को न बताने के लिए धमकी भी दी। ऐसे में अभियोजन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि आरोपित नीलेश ने फरियादी की पांच वर्षीय मासूम बेटी के साथ अमानवीय कृत्य किया था। उसने मासूम को धमकी भी दी थी कि यह बात किसी को बताई तो में फुल्की में जहर मिलाकर खिला दूंगा। जान से मारने की धमकी से मासूम घबरा गई थी। यह बात मासूम ने अपनी मां को बताई थी। उसके बाद ही घटना की शिकायत फरियादी ने जबलपुर के थाना लार्डगंज में की थी। फरियादी की शिकायत पर थाना लार्डगंज में पाक्सो एक्ट सहित अन्य संगीन धाराओं में अपराध पंजीबद्ध कर आरोपी को गिरफ्तार कर विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट,ज्योति शर्मा की अदालत में पेश किया गया। वहीं आरोपी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से जमानत के लिए आवेदन प्रस्तुत किया।
शासन की ओर से जिला लोक अभियोजन अधिकारी शेख वसीम के मार्गदर्शन में अभियोजन की ओर से अजय कुमार जैन अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी ने शासन की ओर से कड़ा विरोध प्रस्तुत कर अपना पक्ष रखते हुए जमानत का विरोध किया। अजय कुमार जैन अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी ने तर्क देते हुए बताया कि यदि आरोपी को जमानत का लाभ दिया जाता है, तो समाज में न्याय के विरूद्ध विपरीत संदेश पहुंचेगा। न्यायालय ने अभियोजन द्वारा व्यक्त किए गए तर्कों से सहमत होते हुए व अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए आरोपित की जमानत निरस्त कर आरोपी को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजने का आदेश पारित किया।
अदालत ने तल्ख लहजे में कहा कि महज पांच वर्ष की मासूम के साथ अमानवीय कृत्य दरिंदगी की कोटि में आता है। लिहाजा आरोपित को जमानत का लाभ हर्गिज़ नहीं दिया जा सकता। ऐसे व्यक्ति को जेल में बंद रखना अति आवश्यक है। समाज को इस तरह के विकृत मानसिकता वालों से बेहद खतरा है।
Published on:
13 Nov 2020 04:49 pm
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