
rare herbs in jabalpur
जबलपुर । मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के जंगलों से विलुप्त हो रही दुर्लभ जड़ी-बूटियों को उगाने की पाठशाला जबलपुर में बन गई है। इसमें देश के प्रमुख संस्थानों के विशेषज्ञ औषधीय पौधों के बीज, रोपणी के साथ प्रसंस्करण और विपणन का प्रशिक्षण देंगे। नेशनल मेडिशनल प्लांट्स बोर्ड ने राज्य वन अनुसंधान संस्थान में क्षेत्रीय सह सुविधा केन्द्र के नाम से सेंटर शुरू किया है।
संस्थान में 18 मई को प्रोजेक्ट की शुरुआत होगी
संस्थान में 18 मई को प्रोजेक्ट की शुरुआत होगी। डेढ़ करोड़ रुपए वार्षिक बजट वाले प्रोजेक्ट में रीजनल डायरेक्टर सहित पांच अधिकारी-कर्मचारियों की तैनाती की गई है। विशेषज्ञों की टीम छत्तीसगढ़ राज्य वन अनुसंधान में भी प्रशिक्षण देगी। बताया गया कि बोर्ड के अनुसार देशभर में 242 औषधीय प्रजातियां व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। इनकी मांग भी बढ़ रही है। इनमें से मप्र-छत्तीसगढ़ में 80 प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं। संस्थान को 427 प्रजातियों को उगाने में सफलता मिली है।
सब्सिडी का भी है प्रावधान
प्रोजेक्ट के को-ऑर्डिनेटर डॉ. एसके मसीह ने बताया, औषधीय खेती पर 30 से 80 प्रतिशत तक सब्सिडी देने का प्रावधान है। विभिन्न प्रजातियों पर सब्सिडी दर अलग-अलग है। आयुर्वेद, होम्योपैथिक और यूनानी चिकित्सा में उपयोग होने वाली औषधियों की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। औषधियां बनाने वाली कम्पनियों और किसानों के बीच प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा, ताकि यह फायदे की खेती साबित हो।
रिसर्च में मिलेगी मदद
नेशनल मेडिशनल प्लांट की योजनाओं का लाभ हितग्राहियों को दिलाया जाएगा। यदि किसी संस्थान की ओर से औषधीय पौधों पर रिसर्च का प्रोजेक्ट प्रस्तुत किया जाता है तो उसे बजट भी दिया जाएगा। जंगल में औषधीय पौधों का क्षेत्र विकसित करने के साथ खेती का रकबा बढ़ाने की भी योजना है।
देशभर में पांच सेंटर बनाए हैं
नेशनल मेडिशनल प्लांट्स बोर्ड ने देशभर में पांच सेंटर बनाए हैं। इसमें मध्य क्षेत्र का सेंटर जबलपुर में खुल रहा है। औषधीय पौधों की खेती में तकनीकी और आर्थिक सहयोग दिया जाएगा। रिसर्च प्रोजेक्ट में भी मदद की जाएगी।
डॉ. धर्मेंद्र वर्मा, संचालक, राज्य वन अनुसंधान संस्थान
Published on:
13 May 2018 01:30 pm
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