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जबलपुर। हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। इसे सूर्य सप्तमी, रथ आरोग्य सप्तमी, सूर्यरथ सप्तमी, पुत्र सप्तमी आदि नामों से भी जाना जाता है। यह सप्तमी अगर रविवार को पड़ती है, तो इसे भानु सप्तमी भी कहा जाता है। ज्योतिषाचार्य सत्येंद्र स्वरुप शास्त्री के अनुसार, भगवान सूर्य ने इसी दिन सारे जगत को अपने प्रकाश से आलोकित किया था, इसीलिए इस सप्तमी को सूर्य जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
माघ सप्तमी की महिमा
वैसे तो माघ का पूरा महीना ही पुण्य मास के नाम से जाना जाता है। इस महीने में शुक्ल पक्ष की अमावस्या, पूर्णिमा और सप्तमी तिथि का बहुत महत्व है। इस सप्तमी को सालभर की सप्तमी में सर्वश्रेष्ठ माना गया है. इसे करने से सौभाग्य प्राप्त होता है।
माघ शुक्ल सप्तमी को सुबह नियम के साथ स्नान करने से मनावांछित फल मिलता है।जो इस तिथि को पूर्व दिशा की ओर मुंह करके सूर्योदय की लालिमा के वक्त ही स्नान कर लेना चाहिए। माघ शुक्ल सप्तमी में अगर प्रयाग में संगम में स्नान किया जाए, तो विशेष लाभ मिलता है। इस मौके पर स्नान और अर्घ्यदान करने से आयु, आरोग्य व संपत्ति की प्राप्ति होती है।
माघ सप्तमी से जुड़ी कथा
कथा के अनुसार, एक वेश्या ने अपनी जिंदगी में कभी कोई दान-पुण्य नहीं किया था। उसे जब अपने अंतिम क्षणों का ध्यान आया, तो वह वशिष्ठ मुनि के पास गई। मुनि से अपनी मुक्ति का उपाय पूछा, तो उन्होंने बताया कि माघ मास की सप्तमी अचला सप्तमी है। इस दिन सूर्य का ध्यान करके स्नान करने और सूरज को दीप दान करने पुण्य प्राप्त होता है। वेश्या ने मुनि के बताए अनुसार माघ सप्तमी का व्रत किया, जिससे उसे मृत्युलोक से जाने के बाद इन्द्र की अप्सराओं में शामिल होने का गौरव मिला।
माघ शुक्ल सप्तमी को सुबह-सुबह किसी पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करके दीपदान करने से उत्तम फल मिलता है। सूर्य भगवान की पूजा करके एक ही वक्त मीठा भोजन या फलाहार करें। इस दिन भोजन में नमक का त्याग करें. इससे सूर्य भगवान प्रसन्न होते हैं।
Published on:
26 Aug 2017 05:08 pm
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