
Four for life imprisonment, one defect free
जबलपुर। आखिरकार मेहनत की कमाई ही काम आती है, भ्रष्टाचार के करोड़ों रुपए भी अब किसी मतलब के नहीं रह गए हैं। एक्सिस बैंक घोटाले के अभियुक्तों के लिए यह बात अक्षरश: सही सिद्ध हो गई है। इन लोगों ने फर्जीवाड़ा कर करोड़ों रुपए कमा तो लिए पर इसका उपयोग करने से पहले ही धर दबोचे गए। इतना ही नहीं अब उन्हें न केवल रकम लौटानी होगी बल्कि कई सालों तक जेल में भी बंद रहना होगा।
सात पहले किया था घोटाला
एक्सिस बैंक में सात पहले सन २०१० में हुए करोड़ों रुपए का फर्जीवाड़ा किया गया था। करीब पचास करोड़ रुपए की फर्जी एफडी घोटाले के नौ आरोपियों को लोकायुक्त की विशेष अदालत ने दो-दो साल के सश्रम कारावास से दंडित किया है। विशेष न्यायाधीश अक्षय द्विवेदी की कोर्ट ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा ४११ के तहत सभी को दोषी पाया। सभी पर ५-५ हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। दो आरोपियों को बरी कर दिया गया, जबकि दो अन्य की सुनवाई के दौरान मुत्यु हो गई थी। एक आरोपी को ९० वर्ष की आयु होने के चलते छोड़ दिया गया।
यह है मामला
अभियोजन के अनुसार ५ जनवरी २०१० को आरोपियों ने एक साजिश के तहत भोपाल के एपेक्स बैंक से नर्मदा घाटी विकास परियोजना के नाम से पचास करोड़ रुपए की फर्जी एफडी तैयार की। इसे जबलपुर स्थित एक्सिस बैंक में एसएस सिद्दीकी के खाते में जमा कर दिया गया। बैंक कर्मियों अमोल शेवड़े, क्षितिज दुबे की मिलीभगत से इस कारनामे को अंजाम दिया गया था। कोर्ट ने सुनवाई के बाद आरोपियों भोपाल निवासी फूल मियां, राबिया खान, राफिया फराज, आरिफ अहमद, कलाम अहमद, सागर के रेवा नारायण श्रीवास्तव, सीहोर के विजय दास बैरागी व जबलपुर के गोविंद तिवारी को दोषी करार दिया।
बच गया बुजुर्ग
कुछ आरोपियों को इस केस में राहत भी मिली है। दो वरिष्ठ बैंककर्मी निर्दोष छूटे हैं जबकि दो आरोपियों की मौत हो चुकी है। एक बुजुर्ग आरोपी को उसकी अधिक उम्र का लाभ देते हुए छोड़ दिया गया है। एक्सिस बैंक के उपाध्यक्ष उमा नरेशन व हेड पी कृष्णमूर्ति को अदालत ने निर्दोष करार दिया। वहीं निखत जहां, रफीक अहमद की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई। आरके पारे की उम्र अधिक होने के चलते न्यायालय ने उन्हें मानवीय आधार पर छोड़ दिया।
Published on:
01 Sept 2017 11:27 am
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