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मात्र 6-7 घंटे में पूरी तरह फैल जाता ‘सांप का जहर’, हो सकते है ‘लकवाग्रस्त’

MP News: करेत जैसे जहरीले सांपों के काटने या न्यूरो टॉक्सिस मामले में पीड़ित के शरीर में जहर फैलने पर उसका स्वास्थ्य 6-7 घंटे में जहर बुरी तरह बिगड़ने लगता है।

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फोटो सोर्स: पत्रिका

फोटो सोर्स: पत्रिका

MP News: बारिश में सर्पदंश के केस बढ़े हैं। डॉक्टरों के अनुसार इलाज के लिए हर मिनट उपयोगी है। समय पर एंटीवेनम इंजेक्शन नहीं मिल पाए तो मरीज की मौत भी हो सकती है। सर्पदंश पर हाथ-पैर से लेकर शरीर अकड़ जाने और लकवा जैसे लक्षण होते हैं।

विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि करैत व दूसरे जहरीले सांपों के काटने के कारण मरीजों में ऐसे लक्षण देखने मिल रहे हैं। जिला अस्पताल में सर्पदंश से पीड़ित हर रोज 1 से 2 मरीज आते हैं। वहीं मेडिकल अस्पताल में 3-4 तक सर्पदंश पीड़ित आते हैं। कुछ मरीज निजी अस्पताल भी जाते हैं। कई परिजन झाड़-फूंक के चक्कर में फंसकर कीमती समय गंवा देते हैं।

6-7 घंटे में बिगड़ती है हालत

करेत जैसे जहरीले सांपों के काटने या न्यूरो टॉक्सिस मामले में पीड़ित के शरीर में जहर फैलने पर उसका स्वास्थ्य 6-7 घंटे में जहर बुरी तरह बिगड़ने लगता है। शुरुआत में लकवा जैसे लक्षण दिखते हैं। देर होने पर मरीज की जान भी चली जा रही है। कुछ जहरीले सांपों के काटने पर पीड़ित में लक्षण स्पष्ट नजर आने लगते हैं। वेस्कुलो टॉक्सिस में सर्पदंश के लक्षण दिखने पर परिजन से लेकर चिकित्सकों को स्पष्ट समझ में आ जाता है। इसके कारण मरीज को समय पर इलाज मिल जाता है।

करेत जैसे जहरीले सांपों के काटने या न्यूरो टॉक्सिस मामले में व्यक्ति की सेहत 6-7 घंटे में बिगड़ सकती है। शुरुआत में लकवा जैसे लक्षण दिखते हैं। समय पर इलाज मिल जाए तो उसकी जान बच जाती है। मरीज झाड़फूंक के चक्कर में फंस कर कीमती समय खराब नहीं करे।- डॉ. अनुपम साहनी, न्यूरोलॉजी विशेषज्ञ

सांप काट लें तो करें ये उपाय

-पीड़ित को शांत रखें, घाव को स्थिर व खुला रखें।

-सांप की पहचान की कोशिश करें (रंग/आकार)। घाव को न काटें ना चूसें।

-बर्फ, शराब या घरेलू इलाज का प्रयोग न करें।

-झाड़-फूंक या ओझा-तांत्रिक पर भरोसा न करें।

-नि:शुल्क 108 संजीवनी एबुलेंस को बुलाएं।

जिला अस्पताल में 30 मरीजों के लिए दवा उपलब्ध

जिला अस्पताल में एंटीवेनम के 320 के लगभग इंजेक्शन उपलब्ध हैं। विशेषज्ञों के अनुसार कई केस में सर्पदंश पीड़ित एक व्यक्ति के इलाज में 10 के लगभग एंटीवेनम इंजेक्शन लग जाते हैं। इस मान से लगभग 40 मरीजों के लिए इंजेक्शन की उपलब्धता है। कुछ दिन पहले अस्पताल में केवल 20 ही एंटीवेनम इंजेक्शन रह गए थे। सिविल सर्जन डॉ.नवीन कोठारी के अनुसार हर साल यहां 600 के लगभग एंटीवेनम इंजेक्शन लग जाते हैं।