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कलचुरिकाल में बना था पहला नर्मदा मन्दिर, अब हर घाट पर विराजमान हैं नर्मदा प्रतिमा

लकल निनादिनी माता रेवा संस्कारधानी वासियों के लिए सतत प्रवाहमान जीवंत स्वरूप में विद्यमान हैं। आस्था इतनी गहरी है कि जीवंत स्वरूप दृश्यमान होने के बाद भी यहां लगभग 1100 साल पहले का कलचुरिकालीन और विश्व का सबसे खूबसूरत नर्मदा जी की प्रतिमा वाला मन्दिर है। प्रमुख घाटों पर भी मन्दिर बनाकर नर्मदा जी की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं।

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भक्तों की उमड़ती है भीड़,नर्मदा जयंती पर होगा विशेष पूजन

जबलपुर।
कलकल निनादिनी माता रेवा संस्कारधानी वासियों के लिए सतत प्रवाहमान जीवंत स्वरूप में विद्यमान हैं। अगाध श्रद्धा के साथ इसके घाटों पर हर दिन हजारों लोग दर्शन, पूजन के लिए आते हैं। लेकिन यह आस्था इतनी गहरी है कि जीवंत स्वरूप दृश्यमान होने के बाद भी यहां लगभग 1100 साल पहले का कलचुरिकालीन ऐतिहासिक और विश्व का सबसे खूबसूरत नर्मदा जी की प्रतिमा वाला मन्दिर है। प्रमुख घाटों पर भी मन्दिर बनाकर नर्मदा जी की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं।नर्मदा जी की इन प्रतिमाओं के दर्शन और पूजन के लिए हर दिन भक्तों की भीड़ उमड़ती है। नर्मदा जयंती पर 28 जनवरी को भी इन मंदिरों में माता रेवा के भक्तों का तांता लगेगा।
ऐतिहासिक है पान दरीबा का मन्दिर-
शहर में कल्चुरि शासकों की अनेक धरोहरे और स्मृतियां मौजूद हैं। उसी वंश का शानदार नमूना कमानिया के समीप पान दरीबा स्थित मक्रवाहिनी नर्मदा माता की मूर्ति भी है। इसे दुनिया की सबसे सुन्दर नर्मदा प्रतिमा भी कहा जाता है। इसकी खासियत है की इसे जिस और से देखो ऐसा प्रतीत होता है कि वो हमें ही देख रही हो। इतिहासकार डॉ आनन्द सिंह राणा बताते हैं कि कल्चुरी वंश के राजा कर्ण ने सन 1041 से सन 1072 तक शासन किया। उन्होने ही मक्रवाहिनी प्रतिमा का निर्माण करवाया।1860 के आसपास त्रिपुरी की खुदाई में यह मूर्ति निकली। जबलपुर के पानदरीबा में रहने वाले हल्कू हलवाई बेहद धार्मिक व्यक्ति थे। मूर्ति निकलने की बात उन्हें मालूम हुई। उन्होंने मूर्ति को लाकर पानदरीबा की गली के मुहाने पर स्थापित किया। बाद में मन्दिर बनवाया गया। मन्दिर समिति से जुड़े अधिवक्ता सम्पूर्ण तिवारी बताते हैं कि यहां दोनो समय माता की आरती व जयंती तथा गंगा दशहरा पर विशेष पूजन,अनुष्ठान होते हैं।
ग्वारीघाट में नदी के बीच-
नर्मदा के ग्वारीघाट में वर्षों पुराना माता नर्मदा का मन्दिर है। ग्वारीघाट का नर्मदा मन्दिर नदी की जलधारा के बीच मे है। यहां नाव से पहुंचकर भक्त पूजा व दर्शन करते हैं। रात को मन्दिर का नजारा अद्भुत और दर्शनीय होता है। रात को बड़ी संख्या में लोग यहां दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं। मन्दिर में दोनो समय महाआरती होती है। उमाघाट के पहले सड़क किनारे भी नर्मदा जी का एक प्राचीन मंदिर है। यहां भी पूजन के लिए बड़ी संख्या में भक्त हरदिन आते हैं।
तिलवाराघाट, लम्हेटाघाट, पनागर में भी-
नर्मदा भक्तों ने तिलवाराघाट, लम्हेटाघाट व पनागर मे भी नर्मदा मैया के मन्दिर बनवाये हैं। तिलवाराघाट में दोनो समय महाआरती होती है। नर्मदा प्रेमी अभिषेक मिश्रा बताते हैं कि लम्हेटाघाट में नर्मदा परिक्रमा पथ पर नर्मदा मन्दिर बना है। पनागर में भी नर्मदा जी का मन्दिर आस्था का बड़ा केंद्र है। इन मंदिरों में भी नर्मदा जयंती, गंगा दशहरा पर भीड़ उमड़ती है।