
Mp High Court Jabalpur
जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने कहा, 'एक न्यूनतम वेतनभोगी कर्मी को कोर्ट के पूर्व आदेश के मुताबिक बहाल करने की बजाय सरकार ने उक्त आदेश को चुनौती दे दी । संबंधित अधिकारी ने न्यायिक आदेश को धोखा देने की कोशिश की। यह अपील राज्य की मुकदमा नीति (लिटिगेशन पॉलिसी) के भी खिलाफ है। एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव व जस्टिस वीके शुक्ला की डिवीजन बेंच ने इस मत के साथ सरकार की अपील निरस्त कर इसके लिए दस हजार रुपए कॉस्ट लगाई। महिला एवं बाल एकीकृत बाल विकास योजना के नरसिंहपुर जिला प्रोग्राम अधिकारी, परियोजना अधिकारी, संयुक्त संचालक व नरसिंहपुर कलेक्टर की ओर से यह अपील दायर कर हाईकोर्ट के 22 फरवरी के आदेश को चुनौती दी गई। दरअसल विभाग में कार्यरत ड्राइवर मोहनलाल कुम्हार को जिला प्रोग्राम अधिकारी (डीपीओ) ने 17 दिसंबर 2014 को मौखिक आदेश के जरिए निकाल दिया। श्रम न्यायालय ने उसकी बहाली के आदेश दिए। इसके खिलाफ सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जो 19 अगस्त 2016 को खारिज हो गई। सरकार की अपील भी कोर्ट ने 10 नवंबर 2018 को निरस्त कर दी। इसके बावजूद मोहनलाल को नौकरी में वापस नहीं लिया गया तो उसके हाईकोर्ट की शरण ली। 22 फरवरी को कोर्ट ने फिर मोहनलाल को नौकरी पर बहाल करने का आदेश दिया। इसी आदेश के खिलाफ यह अपील दायर क ी गई। अधिवक्ता विकास महावर ने तर्क दिया कि आदेश की अवहेलना करते हुए कोर्ट में बैकवेजेस के रूप में 62,265 रुपए जमा करा दिए गए, लेकिन मोहनलाल को नौकरी पर वापस नहीं लिया। इस पर कोर्ट ने सरकार की अपील खारिज कर दस हजार रुपए कॉस्ट लगा दी। सरकार का पक्ष शासकीय अधिवक्ता हरजस छावड़ा ने रखा।
Published on:
02 Nov 2019 08:27 pm
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