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जबलपुर. पुरातत्व विभाग के राज्य संग्रहालय में एक बड़ी गफलत हो रही है। राज्य पुरातत्व संग्रहालय में लगाई गई प्राचीन मूर्तियों की पहचान मुश्किल हो गई है। दरअसल ये मूर्तियां वर्षों पहले लगाई थी और अब समय के इस अंतराल में मूर्तियों के शिलापट मिट गए हैं। संग्रहालय में वाले लोगों को प्राचीन मूर्तियों की सही जानकारी नहीं मिल पा रही है।
कल्चुरी कालीन मूर्तियों को देखने आते हैं विदेशी पर्यटक
यहां विदेशी पर्यटक भी कल्चुरी कालीन मूर्तियों को देखने आते हैं। संग्रहालय में धार्मिक आस्था के साथ समृद्ध कला संस्कृति भी देखने को मिलती है। डिप्टी डायरेक्टर प्रकाश परांजपे बताते हैं कि प्रदर्शनी में लगाई गई मूर्तियों के प्लेटफॉर्म की रंगाई-पुताई कराई गई है। शिलापट पर पुनर्लेखन किया जा रहा है। गाइड लोगों को मूर्तियों की जानकारी दे रहे हैं।
भंवरताल स्थित राज्य पुरातत्व संग्रहालय में ४५० से अधिक प्राचीन मूर्तियां हैं। इनमें से संग्रहलायक की दर्शकदीर्घा और परिसर में प्रदर्शन के लिए २५० मूर्तियां रखी गई हैं। संग्रहालय के भीतर रखी मूर्तियां सुरक्षित हैं, जबकि बाहर लगाई गई मूर्तियों का रखरखाव नहीं हो रहा है। १०वीं और ११वीं सदी की मूर्तियों की प्राचीनता को वे लोग ही समझ सकते हैं, जिन्हें पुरातात्विक जानकारी और विभिन्न समय की मूर्ति कला का पर्याप्त ज्ञान है।
तेवर की मूर्तियां अधिक
संग्रहालय में तेवर, कटनी और दमोह की मूर्तियां अधिक हैं। ११वीं शताब्दी की उमा महेश्वर रावणानुग्रह तेवर, १०वीं सदी की चामुंडा, नवग्रह पट, ११वीं और १२वीं सदी के भगवान विष्णु, ११वीं सदी के भगवान शांतिनाथ व जैन तीर्थंकरों सहित अनेक देवी-देवताओं और महापुरुषों की मूर्तियां हैं। संग्रहालय में धार्मिक आस्था के साथ समृद्ध कला संस्कृति भी देखने को मिलती है। डिप्टी डायरेक्टर प्रकाश परांजपे बताते हैं कि प्रदर्शनी में लगाई गई मूर्तियों के प्लेटफॉर्म की रंगाई-पुताई कराई गई है। शिलापट पर पुनर्लेखन किया जा रहा है। गाइड लोगों को मूर्तियों की जानकारी दे रहे हैं।
Published on:
13 May 2018 02:55 pm
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