
Wreckage buildings can be denger in rainny season
जबलपुर. शहर में दशकों पुराने एक सैकड़ा से ज्यादा आवास खतरनाक हो गए हैं। ये कभी भी ढहकर कहर बरपा सकते हैं। हर बार की तरह इस बार भी शहर के पुराने इलाकों में बने खस्ताहाल और जर्जर मकानों और इमारतों पर नगर निगम की नजर तब पड़ी है जब मानसून सिर पर है। मानसून में इनके गिरने का खतरा बढ़ जाता है। इनमें 94 भवनों को निगम ने खुद सूचीबद्ध कर रखा है। इस सब के बावजूद नगर निगम हाथ पर हाथ धरे बैठा है, इन्हें गिराने में अफसरों के हाथ कांप रहे हैं। मानसून के पहले की खानापूर्ति निगम की भवन शाखा ने इस बार भी कर दी है। ऐसे भवनों के मालिकों को नोटिस जारी कर दिया गया है। अफसर इन भवनों को गिराने की बात कर रहे हैं, लेकिन कोई खाका तैयार नहीं किया गया है, जबकि मानसून जल्दी आ रहा है। जर्जर भवनों में लोग रह भी रहे हैं। निगम ने इन्हें खाली नहीं कराया है। कुछ आवासों के किराएदार-मकान मालिक के विवाद न्यायालय में लम्बित हैं, लेकिन विवाद रहित आवासों को भी नहीं तोड़ा गया।
इन वार्डों में हैं खतरनाक भवन
जिन वार्ड में खतरनाक आवास हैं, उनमें सरदार वल्लभ भाई, मोतीलाल नेहरू, कस्तूरबा गांधी, महात्मा गांधी, राममनोहर लोहिया, विनोवा भावे, द्वारिका प्रसाद मिश्र, चंद्रशेखर आजाद, लोकमान्य तिलक, महर्षि अरविंद, रवीन्द्रनाथ टैगोर, सुभद्रा कुमारी चौहान, दयानंद सरस्वती, जय प्रकाश नारायण, भवानी प्रसाद शुक्ल, जार्ज डिसिल्वा, बनारसी दास भनोत, नरसिंह, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, गोविंद वल्लभ पंत, राजीव गांधी , जाकिर हुसैन, शीतलामाई, खेरमाई, राधा कृष्णन आदि शामिल हैं।
फैक्ट फाइल
36 वार्ड में हैं 94 खतरनाक आवास
11 सर्वाधिक जर्जर आवास चंद्रशेखर आजाद वार्ड में
08 जर्जर आवास लोकमान्य तिलक वार्ड में
05-05 खतरनाक आवास महर्षि अरविंद, राजेन्द्र प्रसाद व महात्मा गांधी वार्ड में
खतरनाक व जर्जर आवासों को खाली कराने व तोडऩे के लिए नोटिस जारी किए जा चुके हैं। जल्द ही इन्हें तोडऩे की कार्रवाई की जाएगी। पिछले साल भी कई आवासों को तोड़ा गया था।
विजय सिंह बघेल, उपयंत्री, भवन शाखा
Published on:
05 Jun 2018 07:00 am
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