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जबलपुर. इंटरनेट की दुनिया दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। इसमें जितनी तेजी से बदलाव हो रहे हैं, उतनी ही तेजी से लोगों द्वार इसे अपनाया भी जा रहा है। हर एज ग्रुप के लोगों द्वारा वर्चुअल वल्र्ड में होने वाले बदलाव को ट्रेंड में शामिल किया जा रहा है। फिर चाहे वह टिक-टॉक पर टिका युवाओं का दिल हो या फिर पबजी पर बीतता उनके दिन रात। एंटरटेंमेंट के लिए बने ये एप्लिकेशन गेम और एप्लिकेशन अब लोगों के लिए एडिक्शन बन चुके हैं। एेसे में इस एडिक्शन से बचने और एंटरटेंमेंट को बनाए रखने के लिए जरूरी हैं कि कुछ प्रयास किए जाएं।
मिशन कम्पलीट करने में जुट जाते
पबजी गेम में कई तरह के हाइटेक फीचर होने के कारण यह सबसे ज्यादा पसंद किया जा रहा है। इस ऑनलाइन गेम में अट्रैक्टिव ग्राफिक्स, पावरफुल साउंड और मोशन सेंसरिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भी किया गया है जो गेम लवर्स को सबसे ज्यादा लुभाने का काम करता है। वहीं मिशन गेम होने के कारण यूजर्स दिन रात इसके मिशन कम्पलीट करने में लगे रहते हैं। यही वजह है कि दिनरात इस गेम को खेलने के कारण यूजर्स को इनकी लत लग चुकी है।
ग्रुप को जोडऩे की कवायद
इस गेम का एडिक्शन सिटी यंगस्टर्स में इतना ज्यादा है कि वे खुद के साथ-साथ दोस्तों को भी इस गेम को जॉइन करने के लिए फोर्स करते हैं, ताकि मिशन को जीता जा सके। क्योंकि इसमें पैराशूट के जरिए प्लेयर्स को एक आयलैंड पर उतरकर दुश्मनों का खात्मा करना होता है। लास्ट में जो बचते हैं वह विनर कहलाते हैं। एेसे में मिशन कम्पलीट करने और विनर बनने के लिए गेम यूजर्स कई ग्रुप्स को भी जॉइन कर रहे हैं।
अग्रेसिव बन रहे हैं यूजर्स
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के गेम बच्चों के साथ-साथ यंगस्टर्स को भी अग्रेसिव बनाने का काम कर रहे हैं। डॉ. सुमित पासी ने बताया कि इस गेम का कॉन्सेप्ट की सभी को खत्म करना है। एेसे में इस तरह की गेम्स की एडिक्शन हो जाने के बाद यूजर्स के बिहेव में रूखापन आ रहा है। उन्हें गेम के बीच में रोकने पर वे काफी अग्रेसिव भी नजर आते हैं।
एेसे पनपता है डिसऑर्डर
गेम्स और सोशल मीडिया को यदि एंटरटेंमेंट के नजरिए से देख जाए तो यह एंटरटेंमेंट के लिए बेस्ट होता है, लेकिन एडिक्शन बन जाने पर यह नुकसानदायक हो जाता है। लंबे समय तक वीडियो गेम्स खेलने की वजह से बच्चों की नजरें कमजोर होती है, साथ ही फिजिकल एक्टिविटीज कम होने से उनकी मसल्स और बोन्स पर भी असर पड़ता है। कई बार वे वर्चुअल लाइफ में ही जीना शुरू कर देते हैं। इतना ही नहीं वह गेम करेक्टर की तरह व्यवहार भी करने लगते हैं। इससे उनके स्वाभाव में गुस्सा और चिड़चिड़ापन शामिल होने लगता है।
लव एंड डिसिप्लिन का कॉन्सेप्ट
बच्चों को किसी भी एडिक्शन से बचाने के लिए सबसे ज्यादा अहम रोल पैरेंट्स का होता है। एेसे में सोशल मीडिया के किसी भी एप और गेमिंग एप के एडिक्शन से बच्चों को सेफ करने के लिए भी पैरेंट्स को लिमिट सेट करने की जरूरत है। क्योंकि यह ऑनलाइन गेम होते हैं तो डाटा लिमिट सेट करने के बाद थोड़ी देर में खुद-ब-खुद बंद हो जाएंगे। इसके लिए पैरेंट़्स को सबसे ज्यादा मॉनिटरिंग करने की जरूरत होगी।
एेसा कर सकते हैं
- पैरेंट्स बच्चों से गेम्स की बजाय अन्य विषयों पर बात करें।
- बच्चों को कभी अकेला न छोड़े
- यंगस्टर्स दोस्तों से ग्रुप चैट कर सकते हैं।
- अपने बच्चों की फ्रैंडलिस्ट में शामिल हों।
- गेम के लिए अपना इमेल और पासवर्ड डालें, ताकि हर तरह का नोटिफिकेशन पहले आपको पता लगे।
- प्ले स्टोर को लॉक रखें।
Published on:
12 Mar 2019 09:59 pm
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