
Bastar Dussehra Kachan Gadi: विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरे के सबसे प्रमुख काछनगादी रस्म को आज विधि विधान से पूरा किया जाएगा। आठ साल की बच्ची पीहू दास कांटे के झूले पर लेटकर इस विधान के तहत बस्तर दशहरा मनाने की अनुमति देगी। राज परिवार के सदस्य कमलचंद्र भंजदेव परंपरानुसार काछनदेवी से अनुमति लेने पहुंचेंगे। अनुमति मिलने पर आतिशबाजी की जाएगी।
बस्तर दशहरा में अब तक तीन बड़ी रस्में पाठजात्रा, डेरी गढ़ई और बारसी उतारनी निभाई जा चुकी है। वहीं चौथा रस्म काछनगादी को आज भंगाराम चौक के समीप काछनगुड़ी में देर शाम को विधि-विधान से किया जाएगा। रस्म को लेकर सभी तैयारियां पूर्ण की जा चुकी हैं काछनगुड़ी को सजाया गया है और सामने बेरिकेटस लगाया गया है, जिसके भीतर कांटों का झूला तैयार किया जाएगा।
इस झूले पर झूलकर काछनदेवी दशहरा मनाने की अनुमति और आशीर्वाद राजा को देंगी। परंपराओं और मान्यताओं के मुताबिक आश्विन अमावस्या के दिन काछन देवी जिन्हें रण की देवी कहा जाता है। (Bastar Dussehra Kachan Gadi) पनका जाति की कुंवारी की यह देवी सवारी करती है। जिसके बाद देवी को कांटे के झूले में लिटाकर झुलाया जाता है।
परिजन ने बताया कि 9 दिनों तक उपवास करके पूजा पाठ गुड़ी में किया जाता है। इस रस्म के अदायगी के दिन कन्या को देवी चढ़ाया जाता है। बेल के कांटों से बने झूले में लिटाकर झुलाया जाता है। यह परंपरा रियासतकाल से चली आ रही है।
Bastar Dussehra Kachan Gadi: पीहू ने बताया कि वह दंतेश्वरी वार्ड की निवासी है। तीसरी क्लास में पढ़ती है। इस रस्म को लगातार तीन वर्षों से निभाते आ रही है। इस रस्म को निभाने के लिए मैं 9 दिनों का कठिन उपवास रखा है। जब यह रिस्म निभाया जाता है तो मुझे कुछ महसूस नहीं होता है, न कांटा चुभता है और न ही खून निकलता है और मुझे न ही दर्द का एहसास होता है।
Updated on:
02 Oct 2024 01:13 pm
Published on:
02 Oct 2024 12:54 pm
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