ऐसे में यहां पर संग्रहकों की आस पूरी तरह टूट गई है। वन विभाग से मिली आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष अभी तक लक्ष्य का कुल 45 फीसदी तेंदूपत्ता का संग्रहण हो पाया है। बेमौसम बारिश व आंधी तूफान से संग्रहण केंद्र में रखे
तेंदूपत्तों पर धूल-मिट्टी लग गई है, जिससे पत्तों के खराब होने की आशंका है। बारिश होगी तो इस बार समय पूर्व ही तेंदूपत्ता संग्रहण पर ब्रेक लग जाएगा।
Bastar Weather: ग्रामीणों की आय होगी प्रभावित
तेंदूपत्ता आदिवासियों के आय का सबसे बड़ा स्त्रोत है। खराब मौसम का सबसे अधिक असर संग्राहकों पर पड़ने वाला है। तेंदूपत्ता संग्रहण से एक लाख परिवारों को रोजगार मिलता है। इससे ग्रामीणों की आय में वृद्धि होती है। आदिवासियों को साल भर तेंदूपत्ता तोड़ाई का इंतजार रहता है। एक माह तक चलने वाले इस कार्य से बस्तर में आदिवासियों को अरबों रूपए की आमदनी होती है। बीजापुर में संग्रहण कार्य पिछड़ा
वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इस वर्ष संग्रहण व खरीदी की शुरूआत दंतेवाड़ा से किया गया है। इसके चलते यहां लक्ष्य का सबसे अधिक 88 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। यहां पर करीब 17 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता का खरीदी की जा चुकी है। जबकि सुकमा में सबसे अधिक 69 हजार तेंदूपत्ता की खरीदी हो चुकी है। इसके अलावा जगदलपुर में खरीदी धीमी गति से जारी है। सबसे चिंताजनक स्थिति बीजापुर की है जहां बहुत देर से खरीदी शुरू हो सकी है।
बीजापुर में खराब मौसम का सबसे अधिक असर
Bastar Weather: वर्तमान में यहां पर सिर्फ 9000 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण हो पाया है। सरकार द्वारा बस्तर वृत्त में कुल 2 लाख 70 हजार 600 मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण का लक्ष्य दिया गया है। इसके लिए वन विभाग पूरी तरह तैयार था तथा संग्रहकों के सहूलियत के लिए वन विभाग 75 समिति और 1710 फड़ तैयार किया था। जानकारी के मुताबिक तेंदूपत्ता के जरिए सबसे अधिक कमाई करने वाला
बीजापुर जिले में तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य पूरी तरह पिछड़ गया है। ऐसे में बीजापुर में खराब मौसम का सबसे अधिक असर दिखाई दे रहा है।