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वाटर हाइवे से जुड़ेगा बस्तर,कोंटा का नदी बंदरगाह होगा आबाद

देश के 24 राज्यो में फैला साढ़े 14 हजार किमी के वाटर हाईवे में छत्तीसगढ़ शामिल नही है जबकि पडेसी राज्यो आंध्रप्रदेश, ओडिशा और तेलंगाना के जल निकायों में दर्जन भर से अधिक वाटर हाइवे घोषित किये गए है । अब दक्षिण बस्तर में गोदावरी नदी पर घोषित राष्ट्रीय जलमार्ग क्रमांक 4 में शबरी को जोड़कर इसे वाटर हाइवे में शामिल करने की कवायद की जा रही है ।

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कुन्नावरम स्थित गोदावरी संगम में बनेगा बंदरगाह

कुन्नावरम स्थित गोदावरी संगम में बनेगा बंदरगाह

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जगदलपुर. देश मे उपलब्ध जल शक्ति का परिवाहन के क्षेत्र में उपयोग करने केंद्र शासन 24 राज्यो के 111 जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग (वाटर हाईवे ) घोषित किया है लेकिन इसमें छत्तीसगढ़ का एक भी जल मार्ग शामिल नही है इस बीच भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण की पहल पर वाटर हाईवे क्रमांक 4 में शामिल गोदावरी नदी में घोषित 171 किमी लंबे भद्राचलम-राजमुंद्री सब वाटर हाईवे में शबरी नदी के माध्यम से बस्तर को शामिल करने की सम्भावनाएं तलाशी जा रही है इस बाबत जल प्राधिकरण की एजेंसी राईट्स के प्रतिनिधि पिछले दिनों सुकमा तक आकर शबरी नदी की स्थिति का जायजा लेकर लौट चुके है इनकी रिपोर्ट के आधार पर ही प्राधिकरण कोई निर्णय लेगा । जगदलपुर में तैनात जल संसाधन विभाग के अधीक्षण यंत्री के एस भंडारी इस कवायद से अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि यह पूरी कवायद दिल्ली से हो रही है इस बाबत उन्हें इसकी अधिक जानकारी नही है शबरी नदी का जलस्तर ग्रीष्म काल मे घट जाता है ऐसे में गहन सर्वे के बाद ही कुछ नतीजे पर पहुंचा जा सकता है ।
चार दशक पूर्व नदी बंदरगाह था कोंटा
तीन राज्यो आंध्रप्रदेश, ओडिशा और तेलंगाना की सीमा पर स्थित दक्षिण बस्तर के कोंटा नगर की पृष्ठभूमि ऐतिहासिक रही है यह नगर शबरी और सिलेरू नदी के तट पर बसा हुआ है यहां से 20 किमी दूर कुन्नावरम में यह दोनों नदियां गोदावरी में समाहित हो जाती है चार दशक पूर्व कोंटा की पहचान नदी बन्दरगाह के रूप में होती थी यहां से वनोपज खासकर लकड़ी और बांस जलमार्ग के द्वारा दक्षिण के कई इलाकों में परिवाहन किया जाता था इसके साथ-साथ लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरतों का सामान भी जलमार्ग के द्वारा परिवहन कर कोंटा लाया जाता था यात्री परिवहन भी जलमार्ग के द्वारा होता था हालांकि अब नदियों का जलस्तर कुछ कम हुआ है ।
दक्षिण बस्तर के लिए वरदान साबित हो सकता है जलमार्ग
सुविधाओ के अभाव में दक्षिण बस्तर नक्सलियो की शरण स्थली बना हुआ है अंदरूनी इलाको में सड़कों, पुल-पुलियो की कमी बनी हुई है इसके अलावा इलाके में शिक्षा-स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव बना हुआ है ट्रेन व वायु सेवा उपलब्ध न होने के कारण क्षेत्रवासी आवागमन के लिए सिर्फ सड़क मार्ग पर ही निर्भर है ऐसे में यदि वाटर हाईवे की मंजूरी मिल जाती है तो यह इलाके के लिए वरदान से कम नही होगा ।
ओड़िशा, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना को ज्यादा लाभ
जल परिवाहन के लेकर केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में अन्तर्देशीय जल प्राधिकरण (आई डबल्यू ए आई )का गठन कर जल परिवाहन को गति देने विशेष पहल शुरू की थी शासन ने पूर्व में 5 जलमार्ग घोषित किए हुए थे इधर आईडबल्यूएआई ने सर्वे करके 106 नए जलमार्ग घोषित किए है इनको मिलाकर 14 हज़ार 500 किमी के लंबे जलमार्गों की संख्या बढ़कर 111 हो गई है ।
अधिसूचना के मुताबिक नदी निकाय,नहरें, बैकवाटर खाडियो में जलमार्ग बनाए गए है इनमे से 32 वाटर हाईवे संचालित हो गए है शेष में बन्दरगाह, सहित अन्य कार्य जारी है ।