
अतुल शर्मा. cg election 2023 : प्रत्याशी और उसकी नीति एक बार समझ में आ जाए, फिर वोट देने में बस्तरिया कंजूसी नहीं करते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद हुए चार सामान्य निर्वाचन में बस्तर की 12 सीटों में दस दावेदार इतने पसंद आए कि आधे से ज्यादा मतदाताओं ने अपना कीमती वोट देकर झोली भर दी। (Chhattisgarh Assembly Election 2023 ) वोटरों की पसंद में जहां चार प्रत्याशी भाजपा के थे तो छह कांग्रेस के रहे हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बस्तर से प्रत्याशी बघेल लखेश्वर ने सभी रेकॉर्ड को तोड़ दिया। उन्हें इस चुनाव में सर्वाधिक 58.01 प्रतिशत वोट मिले जबकि भारतीय जनता पार्टी के दावेदार सुभाऊ कश्यप महज 31.91 फीसदी ही वोट ले सके।
CG election 2023 : वर्ष 2003 सामान्य निर्वाचन में कांकेर से भाजपा प्रत्याशी अगहन सिंह ठाकुर ने 55.11% वोट लिए थे तो कांग्रेस के श्यामा ध्रुवा को 22.77%, तो वर्ष 2018 के चुनाव में दोनों ही दल के प्रत्याशियों के चेहरे बदल गए थे। कांग्रेस ने शिशुपाल तो भाजपा ने हीरा मरकाम को चुनावी मैदान में उतारा। इस चुनाव में यहां के मतदाताओं ने बाजी पलटते हुए शिशुपाल को पसंद किया और 51.25 फीसदी मतदाताओं ने इनके पक्ष में मतदान किया जबकि हीरा मरकाम को 36.77 प्रतिशत ही मत मिले। इसी तरह से यदि हम बात बीजापुर विधानसभा की करें तो वर्ष 2018 में कांग्रेस के विक्रम मंडावी ने 55.92 वोट हासिल करते हुए भाजपा के महेश गागड़ा को पटखनी दे दी। इस चुनाव में महेश को महज 28.50 प्रतिशत ही वोट मिले थे। इसी तरह कोंटा विधानसभा में वर्ष 2003 के चुनाव में कांग्रेस के कवासी लखमा ने सीपीआई के मनीष कुंजाम को करा दिया था। कवासी को 51.54 फीसदी वोट मिले थे तो मनीष को 23.58 प्रतिशत मतों से ही संतोष करना पड़ा था। इसके बाद बात बस्तर की हो यहां हुए दो चुनाव में कांग्रेस के लखेश्वर बघेल आधे से अधिक वोटों पर अपना कब्जा जमा हुए हैं। वर्ष 2013 के चुनाव में कांग्रेस के बघेल लखेश्वर 50.59 फीसदी तो इसके पांच साल बाद हुए चुनाव में 58.01 वोट पाकर रेकार्ड बना लिया।
पांच साल में उनके करीब साढ़े सात फीसदी मतों की वृद्धि हासिल की। हालांकि इस सीट से भाजपा से चुनावी समर में उतरे शुभाहू कश्यप ने 2013 में 31.91 तो दूसरी बार दो प्रतिशत वोट बढ़ाकर 33.85 फीसदी मत प्राप्त किए।
जगदलपुर सीट: दोनों दलों को वोट
बस्तर का हृदय कहे जाने वाली जगदलपुर सीट ने भी दो चुनाव में दोनों ही दलों को दिल खोलकर वोट दिया। वर्ष 2003 में हुए चुनाव भारतीय जनता पार्टी के सुभाऊ कश्यप को 56.48% लोगों ने अपना वोट दिया तो कांग्रेस के झीतूराम बघेल के पक्ष में 28.12% मतदान हुआ। पंद्रह वर्ष बाद 2018 के सामान्य निर्वाचन में जनता ने अपना मिजाज बदला और इस बार कांग्रेस के रेखचंद्र जैन के पक्ष में जबरदस्त मतदान कर दिया। इस चुनाव में कांग्रेस के रेखचंद्र को 52.92 प्रतिशत तो भाजपा के संतोष बाफना को 33.95 प्रतिशत वोट मिले। नारायणपुर में वर्ष 2008 के चुनाव में जनता ने बीजेपी के केदार कश्यप के पक्ष में 54.80 प्रतिशत मतदान हुआ जबकि कांग्रेस के राजनूराम नेताम के खाते में महज 30.33 प्रतिशत ही वोट आ सके। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद केशलूर विधानसभा क्षेत्र का अंतिम चुनाव वर्ष 2003 का था जिसमें आधे से अधिक वोटरों ने बीजेपी के बैदूराम कश्यप के पक्ष में वोट डाला। इस चुनाव में बैदूराम को 50.32 तो कांग्रेस के मन्नूराम को केवल 19.46 प्रतिशत ही वोट मिल सके थे।
किस प्रत्याशी को कितने प्रतिशत पर कितने मिले वोट
कांकेर वर्ष 2003 में भाजपा 55.11% पर 50158 वोट कांग्रेस 22.77% पर 24387 वोट और वर्ष 2018 में कांग्रेस को 51.25% पर 69055 वोट तो भाजपा को 36.77% पर 49249 वोट।
बीजापुर 2018 में कांग्रेस 55.921% पर 44011 वोट तथा भाजपा 28.50% पर 22427 वोट।- कोंटा 2003 में कांग्रेस 51.54% पर 32067 वोट तथा सीपीआई 23.58% पर 14669 वोट।
बस्तर 2013 में कांग्रेस 50.59% पर 57942 वोट, भाजपा 33.85% पर 38774 वोट और वर्ष 2018 में कांग्रेस 58.01% पर 74378 तथा भाजपा 31.91% पर 40907 वोट।
जगदलपुर सीट पर 2003 में भाजपा 56.48% पर 60327 वोट तो कांग्रेस 28.12% पर 30038 और वर्ष 2018 में कांग्रेस 52.92% पर 76556 वोट व भाजपा 33.95% पर 49116 वोट।
केशलूर 2003 में भाजपा 50.32% पर 39222 वोट और कांग्रेस19.46% पर 15164 वोट।
नारायणपुर 2008 में भाजपा 54.80% पर 48459 वोट और कांग्रेस 30.33% पर 26824 वोट।
Published on:
31 Oct 2023 06:33 pm
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