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CG News: तुमा शिल्प से निखर रहा बच्चों का हुनर, विद्यार्थियों को शिल्प कलाओं से जोड़ने की कवायद

CG News: क्षेत्र में लौकी की उपलब्धता अत्यंत ही आसान है,जिसे परिपक्व हो जाने पर सुखने के उपरांत पौधे से अलग कर लिया जाता है।

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तुमा शिल्प से निखर रहा बच्चों का हुनर (photo source- Patrika)

तुमा शिल्प से निखर रहा बच्चों का हुनर (photo source- Patrika)

CG News: पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को शिल्प कलाओं से भी जोड़ने के लिए जनपद प्राथमिक व उच्च प्राथमिक शाला सोनाबाल में छात्र-छात्राओं को स्कूल प्रबंधन के द्वारा कमलादेवी जूनियर राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता 2016 सिद्धहस्त तुमा हस्तशिल्पि अनिल विश्वकर्मा व सहयोगी हस्तशिल्पि नगीना विश्वकर्मा द्वारा संकुल केंद्र सोनाबाल में जनपद प्राथमिक शाला सोनाबाल तथा उच्च प्राथमिक शाला सोनाबाल के विद्यार्थियों को कार्यशाला के माध्यम से तुमा हस्तशिल्प पर कार्यशाला आयोजित कर बारीकियां बताई गई।

CG News: स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहन करने का प्रावधान

नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत मौलिक परंपरागत ज्ञान तथा स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहन करने का प्रावधान किया गया है। इसी के अनुरूप संकुल सोनाबाल में हस्तशिल्प कार्यशालाएं आयोजित किए जा रहे हैं। इस कार्यशाला आयोजन सफलता में संकुल समन्वयक जगतराम शोरी, पुरूषोत्तम दीक्षीत प्रधान अध्यापक शासकीय उच्च प्राथमिक शाला सोनाबाल, हितेंद्र कुमार श्रीवास प्रधान अध्यापक शासकीय प्राथमिक शाला खुटपारा सोनाबाल, ईश्वरी कौमार्य प्रधान अध्यापक शासकीय जनपद प्राथमिक शाला सोनाबाल, शिक्षक चंद्रवंशी तथा सहायक शिक्षक रोहित मरकाम के अलाव दुर्गेश आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बस्तर में पर्याप्त मात्रा में मिलती है लौकी

ज्ञात हो कि, क्षेत्र में लौकी की उपलब्धता अत्यंत ही आसान है,जिसे परिपक्व हो जाने पर सुखने के उपरांत पौधे से अलग कर लिया जाता है। उसके ऊपरी परत की महीन झिल्ली को पानी में तर करने के बाद निकाल लिया जाता है। साथ ही लौकी के अंदरूनी सूखा हिस्से को भी बाहर कर दिया जाता है। अब देसी लौकी की कठोर ढांचा हस्तशिल्प कलाकृति निर्माण के लिये उपलब्ध हो जाता है।

CG News: जिसमें लोहे से बने पतले तारों तथा परंपरागत लोहा छुरी से गर्म करके लौकी के कडक़ ढांचे पर छिद्रकर तथा आकृतियां उकेरकर कलाकृतियां निर्मित किए जाते हैं। ज्ञात हो कि, कलाकृतियों की विशाल श्रृंखलाएं निर्माण करने का अनिल विश्वकर्मा को अनुभव है। जिनमें नाईट लैम्प्स, टेबल लैंप्स तथा वाल हैंगिग्स के अलावा जूलरी (गहनों) का निर्माण भी समाहित है।

शिक्षा नीति 2020 में स्वदेशी उत्पादों पर जोर

विद्यार्थियों ने गहरी अभिरुचि के साथ कार्यशाला में सहभागिता किया। साथ ही स्वनिर्मित कलाकृतियों को अपने स्मृति तथा निरंतर अभ्यास के लिए अपने साथ ले गये।