मरीजो को किसी भी प्रकार से कोई तकलीफ ना हो, वार्डो में नाइट के समय इंटन व जेआर डॉक्टर मौजूद रहे, साथ ही उन्हें समय मे दवाई भी उपलब्ध हो जाये, इस तरह की व्यवस्था भी रात में तैयार की गई। अधीक्षक ने आपातकालीन वार्ड में मौजूद डॉक्टरों से चर्चा करने के बाद वहां मौजूद दवाइयों के बारे में जानकारी ली, साथ ही मरीज को वार्ड शिफ्ट करने से पहले यहां से दवाई लगाने के बाद ही संबंधित वार्डो में भेजने की बात कहते हुए मेडिसीन व बफर वार्ड पहुंचकर जहां स्टाफ नर्स से चर्चा करने के साथ ही रात में ड्यूटी करने आ रहे नर्सिंग कालेज की बच्चों से भी बात करते हुए स्टाफ नर्स का सहयोग करने की बात कही।
निरीक्षण के दौरान सीनियर डॉक्टर (Senior doctor) भर्ती मरीजों से मिलकर उनसे चर्चा किया, वही अगर कोई दवाई की कमी होती है तो तत्काल अधिकारियों से चर्चा की जाए, जिससे बच्ची का समय मे दवा लग सके, इसके बाद एनआईसीयू Neonatal intensive care unit (NICU) पहुंचे जहां वार्ड में भर्ती नवजात शिशुओं की संख्या को पूछने के बाद वहां की स्थिति के बारे में जानकारी ली। वहीं स्टाफ से बातचीत कर मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने की बात कही। इसके बाद फार्मासिस्ट रूम में तैनात स्टाफ से भी बात की, की अगर आपातकाल में अगर किसी मरीज को कोई भी दवाई समय पर नही मिलने पर तत्काल उपलब्ध कराए जाने की बात कही।
मेडिकल कॉलेज में डीएमएफटी कर्मचारियों के न होने की स्थिति में हालात इतने बिगड़ गए कि कई वार्ड में नर्स का टोटा हो गया। कई जगह तो दो दो वार्ड में सिर्फ एक नर्स और डॉक्टर के भरोसे रहे। इतना ही ब्लड सैंपल कलेक्ट करने से लेकर मरीजों को दवा देना तक मुश्किल हो गया। इधर मेकाज प्रबंधन का कहना है कि प्रबंधन लगातार स्थिति को कंट्रोल में रखने के लिए प्रयास कर रहा है।