
NHM employees indefinite strike (Photo source- Patrika)
CG indefinite strike: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के कर्मचारी आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर उतरेंगे। इस संबंध में सभी कलेक्टर, सीएमएचओ, सीएस और बीएमओ को औपचारिक सूचना दी जा चुकी है। बस्तर जिले में 904 से अधिक कर्मचारी आंदोलन में शामिल होंगे, एनएचएम कर्मचारी कामबंद और कलमबंद हड़ताल करेंगे। इसके चलते जिला अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी और मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य सवाएं आज से स्वास्थ्य सेवाएं ठप हों जाएंगी।
ऐसे में शासन पर जिम्मेदारी होगी, कि ऐसे आपातकाल समय में स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारु किया जा सके। इस संबंध में रविवार को श्री जगन्नाथ मंदिर में पत्रवार्ता करते हुए एनएचएम कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष शंकुलता जंघेल, जिला प्रमुख सलाहकार डॉ. श्रेयांश वर्धन जैन ने बताया कि सरकार की बेरुखी और अड़ियल रवैये के कारण कर्मचारियों ने इस बार आंदोलन को अनिश्चितकालीन करने का निर्णय लिया है।
इससे पहले 1 मई, 16 और 17 जुलाई को आंदोलन किया था, 15 अगस्त तक भी मांगों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने से कर्मचारियों में गहरा आक्रोश है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी के घोषणा पत्र में नियमितिकरण का घोषणा किया गया था, आज पर्यंत पूर्ण नहीं किया गया है, जिसे लेकर आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल करते हुए 904 कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे। इस दौरान कार्यकारी अध्यक्ष संतोष सिंह, जिला प्रवक्ता मनीष देवांगन और जिला सचिव टुमेश्वर गजभिये व अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।
कर्मचारी संघ के अनुसार पूर्व में कई बड़े नेताओं ने उनके मंचों पर आकर समर्थन दिया था। मौजूदा सरकार के विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उपमुख्यमंत्री अरुण साव, विजय चौधरी और वन मंत्री केदार कश्यप सहित वरिष्ठ नेताओं ने समय-समय पर कर्मचारियों की मांगों का समर्थन किया था। यहां तक कि 'मोदी की गारंटी' में भी नियमितीकरण का वादा किया गया था। इसके बावजूद पिछले 20 महीनों में 160 से अधिक बार ज्ञापन और आवेदन देने के बावजूद कोई समाधान नहीं निकल पाया है।
CG indefinite strike: कर्मचारियों की मुख्य माँगों में संविलियन/स्थायीकरण, पब्लिक हेल्थ कैडर की स्थापना, ग्रेड पे निर्धारण, 27 प्रतिशत लंबित वेतन वृद्धि, कार्य मूल्यांकन में पारदर्शिता, अनुकंपा नियुक्ति, मेडिकल एवं अन्य अवकाश की सुविधा, स्थानांतरण नीति तथा न्यूनतम 10 लाख रुपए का कैशलेस स्वास्थ्य बीमा शामिल हैं।
एनएचएम कर्मचारी पिछले दो दशकों से प्रदेश के सुदूर अंचलों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ बने हुए हैं। कोविड-19 महामारी जैसे संकट में भी उनकी भूमिका अहम रही, लेकिन इसके बावजूद आज भी वे मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। अन्य राज्यों में इसी मिशन के कर्मचारियों को बेहतर सुविधाएँ मिल रही हैं, जबकि छत्तीसगढ़ में उनकी अनदेखी की जा रही है।
इस बार संघ ने आपातकालीन सेवाएँ और विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई तक बंद रखने का निर्णय लिया है। संघ ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने तत्काल संवाद स्थापित कर जायज़ मांगों पर निर्णय नहीं लिया, तो स्वास्थ्य सेवाएँ पूरी तरह बेपटरी हो सकती हैं, जिसकी जिम्मेदारी शासन की होगी।
Published on:
18 Aug 2025 12:15 pm
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