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जगदलपुर

CG News: बस्तर का कोलचूर बना हाईटेक एग्रो फार्मिंग हब, कैश क्रॉप को अपनाकर अब किसान कमा रहे हैं लाखों रुपए

CG News: स्प्रिंकलर सिंचाई और ड्रिप सिस्टम अपना कर पानी की बचत कर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण पारंपरिक फसलों में नुकसान का खतरा नहीं है। बिजली-पानी के अतिरिक्त खर्चों को कम करने टैंक और ट्यूबवेल को सोलर प्लांट से कनेक्ट किया जाता है।

जगदलपुरFeb 14, 2025 / 12:41 pm

Laxmi Vishwakarma

CG News: बस्तर का कोलचूर बना हाईटेक एग्रो फार्मिंग हब, कैश क्रॉप को अपनाकर अब किसान कमा रहे हैं लाखों रुपए
CG News: कोलचूर गांव हाईटेक कृषि के लिए प्रसिद्ध है। इस गांव की आधे से अधिक कृषि भूमि में किसान धान-गेहूं और मक्का जैसी परंपरागत फसलों को छोडकर कैश क्रॉप ले रहे हैं। आलम यह है कि अकेले इस गांव में ही तीन दर्जन से अधिक खेत फार्म हाउस में तब्दील हो गए हैं। जहां किसान तकनीक का प्रयोग कर वेजिटेबल, फ्रूट, फ्लावर और आर्गेनिक प्रोडक्ट ले रहे हैं। इससे इनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक बस्तर हाईब्रिड कृषि के लिए मुफीद है।

CG News: नए तरीके से मिल रहा अच्छा मुनाफा

हालांकि जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों में नुकसान का खतरा रहता है लेकिन हाईब्रिड फसलों में बीमा का रिस्क कवर हो जाता है यही कारण है कि अब किसान इन फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। इन बागवानी फसलों में नुकसान की संभावना कम करने के लिए आधुनिक तकनीकें आ गई हैं।
ये तकनीकें बेशक महंगी होती है। शासन इन पर मदद का मरहम लगा देता है आधुनिक तरीकों से खेती करने वाले किसानों में बस्तर जिले का कोलचूर गांव हाईटेक कृषि का हब बन चुका है। पूर्वेश टांक के द्वारा किया जा रहा टमाटर का उत्पादन, किसान भावेश अपने खेत में खरबूजा उगा रहे हैं।
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पूर्वेश टांक, प्रगतिशील किसान: 14 एकड़ में टमाटर की फसल का उत्पादन किया जा रहा है। अच्छा भाव मिल रहा है। नए तरीके से अच्छा मुनाफा तो मिल ही रहा है, तकनीक से लागत भी कम हो गई है।
भोलाराम भद्रे, किसान: गांव के बड़े किसानों से प्रेरणा लेकर अब हम भी बागवानी कर रहे हैं। इस साल 3 एकड़ जमीन में सब्जियों के पौधे रोपे गए हैं। उद्यानिकी विभाग के लिए स्प्रिंकलर के लिए आवेदन भी किया है।

किसानों की अच्छी हो रही फसल

राजीव गेंदले, प्रगतिशील किसान: अपने फार्म पर फल-सब्जी नर्सरी की एक यूनिट भी लगाई है। इनकी पूरी 4 एकड़ जमीन बागवानी फसलों से कवर हो रही हैं। इसमें वे देशी सेम, लौकी की फसल ले रहे हैं।
भावेश, प्रगतिशील किसान: 6 एकड़ से अधिक जमीन पर खरबूज की बागवानी फसल कर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण पारंपरिक फसलों में नुकसान है। इसलिए अधिकतर किसान इसे अपनाने लगे हैं।

CG News: किसानों का कहना है कि हाईटेक खेती में शुरुआत में काफी कम इनकम हुई, लेकिन धीरे-धीरे बागों का विकास हुआ और मुनाफा भी बढ़ने लगा है। यहां पर आज प्रत्येक किसान के खेतों में स्प्रिंकलर सिंचाई और ड्रिप सिस्टम से सिंचाई हो रही है। इससे पानी की बचत होती ही है, बेहतर क्वालिटी की उपज मिल रही है। सरकार से 50 प्रतिशत अनुदान स्प्रिंकलर सिंचाई और ड्रिप सिस्टम लगाने दिया जाता है।

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