
CG News: बस्तर में दो दशक के बाद भारतीय सेना के अधीन काम करने वाले बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन यानी बीआरओ की वापसी हो रही है। इससे पहले बीआरओ ने 2000 से 2004 के बीच केशलूर से भोपालपट्टनम के बीच सडक़ बनाई थी। साथ ही जगदलपुर से दंतेवाड़ा के बीच कुछ प्रमुख पुल का काम किया था।
CG News: बस्तर में बीआरओ के पास मुख्य सडक़ों पर ही काम करने का अनुभव है लेकिन पहली बार वह अंदरूनी इलाकों की सडक़ बनातेे दिखेगा। बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन की यह वापसी उस वक्त में बेहद खास हो जाती है जब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2026 तक बस्तर से नक्सलवाद के खात्मे का (CG Naxal News ) दावा किया है। बीआरओ को पहली बार नक्सलियों की मांद में घुसकर सडक़ बनाने का जिम्मा केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ही सौंपा है।
CG Naxal Encounter: 250 करोड़ रुपए से नक्सलियों के दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के आधार क्षेत्र में जो सडक़ों का काम होना है वह बीआरओ ही करेगा। जानकार कहते हैं कि इन इलाकों में सडक़ें नहीं होने की वजह से ही सालों से नक्सलियों का प्रभाव बढ़ता रहा है। सडक़ें बन जाने के बाद फोर्स की आमद इन क्षेत्रों में बढ़ेगी। पहले चरण में बीआरओ को बीजापुर जिले के तर्रेम, एलमगुड़ा, सिलगेर, कोण्डापाली,पूवर्ती जैसे धुर नक्सल प्रभावित इलाके में सडक़ बनाने का जिमा सौंपा गया है। इसके बाद सुकमा जिले के प्रमुख प्राजेक्ट पर काम शुरू किया जाएगा। साथ ही ऐसी सडक़ें जिनका काम नक्सल दहशत की वजह से सालों से अटका हुआ है उसे भी बीआरओ ही पूरा करेगा।
लद्दाख सीमा पर रोड का काम कर रही बीआरओ की बटालियन को बस्तर भेजने की तैयारी चल रही है। बताया जा रहा है कि वहां पर काम पूरा हो चुका है और वहां काम संभालने के लिए दूसरी बटालियन भी उपलब्ध है इसलिए वहां काम कर रही बटालियन को यहां भेजा जा रहा है। एक महीने के अंदर यह बटालियन बीजापुर पहुंच सकती है। हालांकि बटालियन बीजापुर जिले के किस हिस्से से काम शुरू करेगी अभी यह तय नहीं है।
बीआरओ का इतिहास चुनौतियों से ही जुड़ा रहा है। देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक जहां भी चुनौतीपूर्ण सडक़ों, पुल-पुलियों का काम किया गया है। वह बीआरओ के जिमे ही पूरा हुआ है। बस्तर में भी बीआरओ ने सालों पहले काम किया था लेकिन अब उसकी एक बार फिर वापसी हो रही है। बीआरओ की यह पारी खास रहने वाली है क्योंकि बस्तर में तेजी से नक्सल मोर्चे पर बदलाव हुआ है। अब यहां पर व्यापक स्तर पर काम होने हैं ऐसे में बीआरओ की भूमिका अहम होगी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन ने पिछले महीने 17 सितंबर को दिल्ली से ऑनलाइन बैठक लेते हुए इस पूरे प्रोजेक्ट की समीक्षा की थी। छत्तीसगढ़ के पीडब्ल्यूडी अफसर इस बैठक में शामिल थे और गृह सचिव को अफसरों ने बताया कि सडक़ों को तैयार करने की कार्य योजना तैयार है। इसी बैठक में तय किया गया कि धुर नक्सल इलाके का काम होने की वजह से इसका जिमा बीआरओ संभालेगी। बीआरओ निर्माण के साथ ही सडक़ों को सुरक्षा भी देगी। गृह सचिव ने जल्द इस प्रोजेक्ट को शुरू करने कहा है।
चीफ इंजीनियर, जीआर रावटे ने कहा कि अंदरूनी सडक़ों के निर्माण के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पहले हमसे प्रस्ताव मांगा था। हमने वह तैयार कर दे दिया था। बीजापुर और सुकमा जिले के धुर नक्सल प्रभावित इलाकों में सडक़ें बननी हैं। इन सडक़ों का काम बीआरओ करेगा। यह निर्णय सितंबर में हुई गृह सचिव की बैठक में लिया गया है।
Published on:
13 Oct 2024 12:38 pm
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