
CG News: किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों से जोड़ते हुए अब परंपरागत उर्वरकों के स्थान पर नैनो डीएपी के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह पहल एक ओर जहां कृषि उत्पादकता में वृद्धि का मार्ग प्रशस्त कर रही है, वहीं पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इसका छिड़काव पत्तियों पर या बीज उपचार के रूप में किया जाता है।

CG News: उप संचालक कृषि राजीव श्रीवास्तव ने किसानों को कृषि समसामयिक सलाह जारी करते हुए बताया कि सामान्य डीएपी के विकल्प के रूप में नैनो डीएपी अब आसानी से सहकारी समितियों (लैम्पस) और पंजीकृत निजी प्रतिष्ठानों के माध्यम से उपलब्ध है।

CG News: किसानों को इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। उन्होने बताया कि सामान्य डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) एक ठोस दानेदार उर्वरक है, जिसे मिट्टी में सीधे मिलाया जाता है। इसके भारी और बड़े कणों के कारण पौधों द्वारा पोषक तत्वों का अवशोषण सीमित होता है।

CG News: उच्च प्रभावशीलता: 500 मिलीलीटर नैनो डीएपी, 50 किलोग्राम सामान्य डीएपी के बराबर प्रभावी होता है। कम लागत, अधिक सुविधा: छोटी बोतलों में आने के कारण इसका परिवहन व भंडारण आसान और सस्ता है।

CG News: बेहतर अवशोषण: नैनो कण पौधों द्वारा पोषक तत्वों को तेजी से और बेहतर तरीके से अवशोषित करते हैं। पर्यावरण हितैषी: इसकी कम मात्रा उपयोग होने के कारण मिट्टी, जल और वायु प्रदूषण में कमी आती है। सरकारी सब्सिडी का बोझ कम: कम मात्रा की आवश्यकता होने से सरकारी खर्च में भी कटौती होती है।

CG News: कृषि विभाग द्वारा किसानों को नैनो डीएपी के उपयोग को प्राथमिकता देने और लैम्पस समितियों से इसका उठाव करने की सलाह दी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में नैनो तकनीक आधारित उर्वरक पारंपरिक उर्वरकों का टिकाऊ और लाभकारी विकल्प बन सकते हैं।